विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून को क्यों मनाया जाता है क्या थीम है

आज का दिन बेहद खास है आज विश्व पर्यावरण दिवस है आज के दिन हर वर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के तौर पर मनाया जाता है विश्व पर्यावरण दिवस मनाए जाने का मकसद है नागरिकों को पर्यावरण की सुरक्षा के प्रति जागरूक करना प्रगति के बिना मानव जीवन संभव नहीं है हम पेड़ पौधों ,जंगलों, नदियों, झीलों, भूमि ,पहाड़ आदि के महत्व को समझें इसलिए पर्यावरण दिवस हर वर्ष 5 जून को मनाया जाता है जिसमें पर्यावरण जागरूकता का संदेश पेड़ लगाकर दिया जाता है भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी आज एक पौधा लगाया और भारत थी नहीं बल्कि संपूर्ण विश्व को पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया।

विश्व पर्यावरण दिवस 2025 की थीम क्या है?
थीम 2025 – प्रतिवर्ष पर्यावरण दिवस की एक खास थीम होती है इस वर्ष यानी साल 2025 की थीम प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करना है इस टीम को ध्यान में रखते हुए देश में प्लास्टिक प्रदूषण से मुक्ति पाने के लिए कई वैकल्पिक कार्यक्रम में चलाए जा रहे हैं पृथ्वी को हम सबसे अच्छा उपहार दे सकते हैं और वह उपहार है अधिक से अधिक पेड़ लगाए अपने जन्मदिन पर एक पौधा अवश्य लगे पर्यावरण को बचाने का मतलब है अपना खुद का जीवन बचाना विश्व पर्यावरण दिवस की शुभकामनाएं प्रगति के बगैर जीवन की कल्पना अधूरी है यही वजह है की प्रगति पहले अस्तित्व में आई और करोड़ों साल बाद जीवन अस्तित्व में आया।
पर्यावरण सुरक्षा क्या है?
पर्यावरण का अर्थ है हमारे चारों ओर का वातावरण जो हमें घेरे हुए हैं पर्यावरण संरक्षण का अर्थ है हमारे चारों ओर के इस वातावरण को सुरक्षित रखना और प्रदूषण से बचाना। वनों की रक्षा, जल स्रोतों की सुरक्षा, वायु की शुद्धता बनाए रखना, और जंगलों का संरक्षण कर हम पर्यावरण संरक्षण का प्रयास कर सकते हैं आधुनिक जीवनशैली और औद्योगीकरण के कारण प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है, जिससे स्वास्थ्य और पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसलिए हमें पर्यावरण संरक्षण करना आवश्यक है हमें अधिक से अधिक पेड़ लगाना आवश्यक है प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य है कि वह अपने आसपास प्रतिदिन एक पौधा अवश्य लगाएं।
स्वामी अखिलेशानंद महाराज कहते हैं आज संपूर्ण विश्व पर्यावरण संरक्षण को लेकर चिंतित है लोभी मनुष्य अपने स्वार्थ में इतना अंधा हो गया है कि वह पर्यावरण के पोषण संरक्षण और संवर्धन के प्रति उदासीन होता जा रहा है इस कारण विश्व समुदाय के पर्यावरण विद् प्रकृति प्रीमियम पर्यावरण संरक्षण की दिशा में निरंतर अग्रसर है एक और वैश्विक समस्या ने बुद्धिजीवियों वैज्ञानिकों सहित अनेक देशों की सरकारों एवं प्रशासनिक तंत्र को समय रहते सचेत और जागरूक कर दिया है उसे वैश्विक समस्या का नाम है ग्लोबल वार्मिंग। हम आप सभी अनुभव कर रहे हैं पृथ्वी से निरंकार बढ़ रहा है पृथ्वी में जितना ताप स्वभावत होना चाहिए उससे अधिक ताप का अनुभव विश्व मानव समूह इस समय कर रहा है।
इस प्रकार अस्वाभाविक अनुभव का आधार यह है धरती का जल स्तर बहुत नीचे जा रहा है समुद्र का पानी वस्तु बनकर उड़ रहा है वृक्षों का स्वास्थ्य निरंतर गिर रहा है पौधारोपण के प्रति मानव के आरोपी है वनों की अवैध कटाई इतना ही नहीं नदियों का प्रभाव अवरोध हो रहा है खनिज संपदा का उजाला अवैध उत्खनन इसके साथ-साथ नए प्रकार के रसायनिको का प्रचलन धरती के स्वास्थ्य को गिराने में सहायक हो रहा है ध्यान देने योग्य तथ्य है कि पृथ्वी में वाटर लेवल पृथ्वी के जितने निकट होगा धरती अपने सस्य श्यामला रूप तथा अपनी हरीतिमा के सौंदर्य को उतना ही निखारती और संवारती रहेगी ।
स्वामी अखिलेशानंद महाराज आगे कहते हैं मुझे आयुर्वेद शास्त्र के एक महत्वपूर्ण मानता स्मरण हो आ रहा है मानव देव की संरचना में प्रकृति देवी का बहुत बड़ा योगदान है वह यह है कि मनुष्य के उत्तम स्वास्थ्य का संतुलन बनाए रखने में बात ,कफ और पित्त का समानुपात शरीर का संतुलन बनाए रखने में सहायक है बात कैफ और पित्त के समानुपात शरीर मैं अंतर आ जाने के कारण स्वास्थ्य विकृति उत्पन्न हो जाती है और फिर मनुष्य की किया निरोगी नहीं रह पाती इस अवस्था में रोग उपचार की आवश्यकता होती है हम आप जिस धरती मां की गोद में जन्मे पले और विविध क्रीड़ाओ के माध्यम से खेले हैं जिस धरती मां ने हमें भिन्न-भिन्न प्रकार के रुचिकर मनपसंद पोषण आहार दिए हैं जब हम किसी शारीरिक रुग्णता के शिकार हुए हैं हमारी इस धरती मां ने हमें उपचार हेतु अनेक औषधीय देखकर हमें स्वस्थ रखा है ऐसी ममता में वसुंधरा के लिए हमारा सामूहिक दायित्व बनता है मां का आंचल हमेशा भरा रहे इसको हम सब का ध्यान जाना चाहिए इसकी विराट शरीर का संतुलन जिन कारकों से होता है उनका संरक्षण पूर्वक ना सभी का समानुपात बना रहे यह हम सभी का दायित्व हैं क्योंकि प्रकृति और पर्यावरण से हम मनुष्यों का मन संबद्ध है अष्टधा प्रगति में मन भी एक महत्वपूर्ण घटक है भूमि जल अग्नि वायु आकाश के सामने और बुद्धि तथा अहंमन्यता का समावेश है तभी तो यह प्रकृति अष्टधा कही गई
भूमिरापोस्नलो वायु खं मनो बुद्धिरेव च
अहंकार इतीय में भिन्ना प्रकृतिरष्टधा
पंचभूत संतुलन ही पर्यावरण निर्माण करता है समष्टि में पंचभूतों की विशुद्धी महत्वपूर्ण है हमारे आसपास के जन्म स्रोत अविरल रहे निर्मल रहे एवं अपनी इन जीवन रेखाओं को सुरक्षित रखें भाइयों में किसी प्रकार का प्रदूषण ना जाने पाए प्रकृति का एक-एक उत्पादन अपने अस्तित्व रक्षा हेतु मचल रहा है प्रत्येक वृक्ष वनस्पति पौधा मानव के साथ में तादाम्य बनाकर मानवीय सृष्टि के फेफड़े का कार्य करते हैं हम सब कहते हैं समवेद स्वर में जल ही जीवन है जलाशयों,सरिताओं ,सरोवरों ,जल स्रोतों में अपमिश्रण का कार्य भी हम ही कर रहे हैं मानव कृत उद्योग उपक्रम और भिन्न-भिन्न प्रकार के युगानूकूल नूतन आविष्कार जल प्रदूषण वायु प्रदूषण मृदा प्रदूषण में सहायक बन रहे हैं जो भविष्य में खतरे का संकेत दे रहे हैं हम आप इस पाप से बचें विश्व पर्यावरण दिवस पर हम केवल पत्र का संकल्प ही ना लें बल्कि प्रदूषण रोकने के उपाय के प्रति प्रतिबद्धता हेतु कटिबद्ध हो जाए।
पर्यावरण की सुरक्षा के लिए क्या करना चाहिए?
बाइक, करो और मोटर वाहनों का उपयोग कम से कम करें साइकिल का प्रयोग सबसे ज्यादा करें ऐसा करने से हम पर्यावरण को सुरक्षित रख सकते हैं।
पर्यावरण की रक्षा के उपाय क्या हैं?
पानी को व्यर्थ ना बनाएं पानी बचाएं – नल बंद करके दांत ब्रश करें, नहाने के लिए बाल्टी का उपयोग करें कम पानी का प्रयोग करें और टपकते नलों को ठीक करें।
ऊर्जा बचाएं ईंधन बचाएं- साइकिल की सवारी अधिक से अधिक करें या पैदल चले,कम ईंधन खपत वाली गाड़ियों का उपयोग करें। वाहन उत्सर्जन कम करें वाहनों का नियमित रखरखाव करवाएं, कम प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों का उपयोग करें, और सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करें।
बिजली की बचत करें- घर में सोलर पैनल लगवाई 1 किलो वाट का सोलर प्लांट हर दिन 5 से 6 यूनिट बिजली बन सकता है इसके अलावा 70 से 80 हजार रुपए है इस पर सरकारी सब्सिडी भी है 7 से 8 साल में लागत निकल जाएगी।
मोबाइल का डेटा का उपयोग कम करे- अगर आवश्यक डाउनलोड या अनुपयोगी ऐप से बचते हैं तो डाटा बचाते हैं और उससे जुड़ी ऊर्जा व पानी की खबर भी घटते हैं क्योंकि हर डिजिटल क्रिया के पीछे डाटा सेंटर है जो बिजली पानी का इस्तेमाल करता है 1GB उत्तर के पीछे दो किलोग्राम उत्सर्जन होता है डाटा सेंटर की कूलिंग से टावर लगने तक प्रदूषण होता है।
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