समूह समाज कार्य की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए

समूह समाज की अवधारणा का एक प्रणाली के रूप में– समूह समाज कार्य समाज कार्य भी दूसरी प्रमुख प्रणाली है। प्रणाली का अर्थ समूह में व्यक्ति एक साथ आपस में मिलकर काम करते हैं वही समाज कार्य का मतलब है कि व्यक्तियों समूह एवं समुदायों को देखते हुए उनकी जरुरतों को पूरी करना एवं व्यक्तियों के साथ मिलजुल कर कार्य करना और उसके साथ वैज्ञानिक तरीके से भी कार्य करना होता है। समूह समाज कार्य का मतलब होता है गरीब एवं असहाय व्यक्तियों की सहायता करना जिससे समाज एवं व्यक्तियों का विकास हो सके। समूह समाज कार्य की अनेक , वैज्ञानिकों ने अलग-अलग परिभाषाएं दी है इस प्रकार है–
सामाजिक कार्यकर्ता सीमा सिंह के अनुसार समाज समूह कार्य एक प्रक्रिया और प्रणाली है जिसमें ज्ञान सिद्धांतों और निपुणता का समावेश होता है समूह समाज कार्य समाजसेवी संस्थाओं को तात्वावधान में किया जाने वाला कार्य है जैसे सामामूहिक जीवन में भाग लेना , निर्णय लेने की योग्यता, अपना दायित्व संभालने की क्षमता होती है समूह के व्यवहार में परिवर्तन लाने के लिए सहायताद जाती है।
(1) विल्सन के अनुसार– समूह समाज कार्य प्रक्रिया है एवं प्रणाली है जिसके द्वारा कार्यकर्ताओं प्रजातंत्रवादी लक्षण एवं परस्पर संबंधी प्रक्रिया को अपने सचेत रूप से निर्देश देता है एवं सामूहिक एवं सामाजिक जीवन को प्रभावित भी करता है।
(2) कोनोपका के अनुसार– विचार विमर्श एवं अनुभव करके समझौते पर सहमति के अलावा और कुछ नहीं होता है और पूरी तरह से स्वतः सिद्ध नहीं किया जाता है और समय के अनुसार परिवर्तित होती रहती है
(3) हैमिल्टन के अनुसार – समूह समाज कार्य एक सामाजिक प्रक्रिया है जो नेतृत्व योग्यता एवं सहकारिता के विकास से उतनी ही संबंधित है। और सामाजिक उद्देश्य के एवं सामूहिक अभीरुचियां के निर्माण से है।
(4) मारिया के अनुसार – मारिया द्वारा 1957 में समूह समाज कार्य की एक परिभाषा में इसके दोहरी पक्ष का बल दिया गया है। समूह के अंदर व्यक्ति के विकास और समुदाय के एक भाग के रूप में समूह के विकास पर दिया गया है।
(5) अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ ग्रुप वर्कस् – 5 अक्टूबर 1948 को ड्राफ्ट या प्रारूप किया गया परिभाषा का उल्लेख अनेक विद्वानों ने किया है इस परिभाषा में समूह समाज कार्य को प्रणाली कहा गया है। जिसके द्वारा समाज कार्यकर्ता अनेक प्रकार के समूह को इस प्रकार से कार्य करने योग्य बनाता है की दोनों समूह परस्पर और कार्य संबंधित क्रियाकलाप व्यक्ति विकास एवं समृद्धि और सामाजिक उद्देश्य की प्राप्ति के लिए अपना योगदान करें।
(6) ट्रैकर के अनुसार – ट्रैक्टर ने समूह समाज कार्य को परिभाषित किया है जिस प्रकार समूह समाज कार्य केवल अर्थ स्पष्ट होते हैं बल्कि इसके उद्देश्य या सेवा दी जाती है इस सेवा कार्य की क्या लक्ष्य है सब बातें स्पष्ट हो जाती है।
समूह समाज कार्य एक प्रणाली है जिसके द्वारा व्यक्तियों को सामाजिक संस्थाओं के तत्वाधान में समूह में एक कार्यकर्ता द्वारा सहायता दी जाती है ।
ट्रैकर ने इस परिभाषा की व्याख्या करते हुए कुछ और भी बातों को स्पष्ट किया है उनके अनुसार समूह समाज कार्य में व्यक्तित्व में समृद्धि परिवर्तन एवं विकास की एक प्राथमिक मध्य के रूप में स्वयं समूह का व्यक्ति द्वारा कार्यकर्ता की सहायता से प्रयोग किया जाता है।
(1) समूह समाज कार्य प्रणाली है जो ज्ञान – विज्ञान प्रबोध और निपुणताओं पर आधारित है या इन सब से मिलकर बनी है।
(2) इस प्रणाली के द्वारा संस्था के तत्वाधान में बने समूह में व्यक्तियों की सहायता की जाती है। यह व्यक्ति समुदाय द्वारा संगठित संस्थाओं के बने समूह के माध्यम से सहायता का प्रयोग करते हैं।
(3) यह सहायता कार्यकर्ता द्वारा दिया जाता है जो कार्यक्रमों संबंधित क्रियाकलापों के द्वारा उत्पन्न होने वाले व्यक्तियो या सदस्यों पर अंत: क्रिया का मार्गदर्शन करता हुआ सहायता देता है। कार्यकर्ता परस्पर मान्यता पर आधारित संबंधों का प्रयोग करके समूह और सदस्यों का व्यक्ति कारण करके समूह का लक्ष्य और कार्यक्रम निर्धारित करने में सहायता देता है।
(4) इस सहायता के अनुसार व्यक्ति या सदस्य एक दूसरे के साथ-साथ संबंध स्थापित कर सके और अपनी आवश्यकताओं और क्षमताओं के अनुसार विकास के शुभ अवसरों को अनुभव कर सके।
(5) इस सहायता का उद्देश्य व्यक्तिक, सामूहिक, और सामुदायिक विकास है अर्थात एक प्रजातांत्रिक समाज के उद्देश्य की दृष्टि से व्यक्ति और समूह की व्यवहार में परिवर्तन लाने के यह सहायता दी जाती है। समाज समूह का एक प्रणाली एवं एक प्रक्रिया है जिनके ज्ञान प्रविद्ध सिद्धांत एवं पूर्णताओं का समावेश होता है।
समूह समाज कार्य का दर्शन
1 हबर्ट बिस्नो ने समूह समाज कार्य के दर्शन का विस्तृत वर्णन किया है उन्होंने समाज का दर्शन को विभाजित किया है।
शैशव काल से लेकर ही प्रत्येक व्यक्ति समूह का सदस्य होता है और समूह का एक वक्त सदैव बढ़ जाता है। वह परिवार जैसे प्राथमिक समूह एवं जाति वर्ग में आदि जैसे द्वितीयक समूह में रहता है और उनके अनुसार सामाजिक संपर्क में बढ़ोतरी हो जाती है। 2 समाज कार्य में कार्यकर्ता यह भी मानकर चलते हैं कि व्यक्तियों के विकास और उनके व्यक्तित्व और मनोवृतियों में परिवर्तन करने के लिए सहायता किया जाता है।
3 समूह समाज कार्यकर्ता व्यक्तियों के साथ कार्य करते हुए यह समझने का प्रयास करता है कि विकास के इन चरणों में इसका संतोषजनक विकास हुआ था या नहीं व्यक्ति हमेशा से अपने जीवन काल में तीन प्रकार के समूह में रहता है।
(१) प्राथमिक समूह जिससे वह पैदा होता है। (२) अपने स्वतंत्रता पूर्वक मित्रता पूर्ण समूह। (३) मौलिक हित या महत्वपूर्ण हित के समूह।
4 समूह समाज कार्यकर्ताओं का एक परस्पर से अटूट विश्वास होता है और व्यक्ति न केवल समूह में विकसित होते हैं बल्कि समूह के माध्यम से भी विकास किया जाता है।
5 समूह समाज कार्यकर्ता यह भी मानते हैं कि जो हमारे मित्र या घनिष्ठ साथी जिनके साथ हमारा एक बराबर का रिश्ता होता है और परस्पर एक दूसरे की स्वीकृति की भी भावना रहती है और हमारे मनोवृतियों आदतों और प्रत्योत्तर के निर्माण में प्रभावशाली भूमिका बनी रहती है।
6 समूह समाज कार्य मौलिक रूप से व्यक्ति के विकास से संबंध रखता है। और यह कार्यकर्ताओं का यह विश्वास रहता है कि इस उद्देश्य की पूर्ति संस्थाओं के तत्वाधान में समूह को बनाकर या बनी – बनाई समूह के चेतन प्रयोग से होता है।
7 समूह समाज कार्यकर्ता यह मानते हैं की स्वीकृति और अस्वीकृति केवल दो व्यक्तियों के बीच न रहकर व्यक्तियों और समूहों के बीच भी रह सकती है। व्यक्ति समूह में या समूह द्वारा स्वीकार भी किए जाते हैं एवं अस्वीकार भी किए जाते हैं समूह कार्यकर्ताओं का यह मानना है कि आपस में एक दूसरे के सहमति के बिना सामाजिक जीवन का कोई महत्व नहीं है।
8 समूह के कार्यकर्ताओं का यह भी मानना है की प्रजातांत्रिक व्यवहार एक सीखा हुआ व्यवहार है। और प्रजातंत्र दो मुख्य बातों पर ही निर्भर है और व्यक्तियों को प्रजातंत्र के अर्थों का समझने में सहायता किया जाता है।