दमोह स्वच्छता ब्रांड एम्बेसडर हरीश पटेल के प्रयासों से हुआ दो चौराहो का निर्माण कार्य

देश में स्वच्छता सर्वेक्षण अभियान चल रहा है दमोह में भी स्वच्छता सर्वेक्षण अभियान के अंतरगत दमोह कलेक्टर सुधीर कोचर द्वारा विगत 8 जून से स्वच्छता अभियान शुरू किया गया जिसके आगमी 8 जून को एक वर्ष पूर्ण हो जायेंगे. शहर में इन दिनों स्वच्छता सर्वेक्षण अभियान में सबसे चर्चित चेहरा दमोह के युवा बॉलीवुड सिनेमैटोग्राफर हरीश पटेल का है जो मुंबई से दमोह आकर स्वच्छता सर्वेक्षण अभियान का हिस्सा बने और शहर के सभी चौराहों का सौंदर्य करण करने का स्वयं से संकल्प लिया अपनी एक अलग टीम बनाकर उसके साथ प्रथम चरण में ही बस स्टैंड, स्टेशन चौराहा,किल्लाई नाका चौराहा,जटाशंकर द्वार और जटाशंकर स्तंभ का रंग रोगन करके कायाकल्प कर दिया.इसके साथ ही दमोह को अपने स्वयं के द्वारा एक गीत मत करो ना यार समर्पित किया जो अब टिपर वाहनों में लगातर बज रहा है स्वच्छता के प्रति इनका समर्पण भाव और उनके कार्यों को देखते हुए दमोह कलेक्टर ने इन्हें दमोह का ब्रांड एंबेसडर घोषित किया।
हरीश भी इस विश्वास पर खरे उतरे और अपने प्रयासों से शहर के दो और चौराहों का निर्माण कार्य कराने मे सफल रहे, शहर के ये दो विवेकानन्द चौक और तीनगुल्ली चौराहा वर्षों से उपेक्षित थे,हरीश ने बताया कि इन चौराहों पर बरसों से पावरपोल के चारों तरफ लोहे के गाटर लगे हुए जिनसे आए दिन सड़क दुर्घटनाएं भी होती थी साथ ही चौराहे भी गंदे दिखते थे मैंने कलेक्टर श्री सुधीर कोचर को इस बात से अवगत कराया और आख़िरकार इन चैराहों का नवनिर्माण होकर उन्हें जीवनदान मिल गया हरीश पटेल ने बताया कि अभी मैं दोनों चौराहों की देख-रेख करते हुए उनकी तराई कर रहा हूं जल्दी ही इनका रंग रोगन करके इनका सौंदर्य करण भी अन्य चौराहों की तरह किया जाएगा बदलाव की हर कोशिश रंग लाती है हमारी पहल सकारात्मक दिशा में हो तो उसके सुखद परिणाम इसी तरह सफ़लता के रूप में सामने आते हैं इन दोनों चौराहों के बन जाने से इन चौराहों के पास रहने वाले स्थानीय रहवासी भी बेहद खुश है।

तीनगुल्ली निवासी रामप्रसाद कहते हैं कि हरीश के ब्रांड एंबेसडर बनने से दमोह शहर में लगातार नए काम हो रहे हैं जो वर्षों से नहीं हुए तीनगुल्ली चौराहा बनना हमारे लिए एक सपना हो गया था पर अब ये सपना पूरा हो गया अब हमारा चौराहा खुबसूरत लगने लगा है तीन गुल्ली के कुछ बुजुर्ग पुराने दिनों को याद करते हुए कहते हैं कि वो दिन ताजा हो गए जब यहां गोलाकर चौराहा हुआ करता था और हम लोग गर्मी के दिनों में रात में यहां बैठा करते थे। और कई बार सो भी जाया करते थे विवेकानन्द चौक बनने पर स्थानीय प्रेम कहते हैं कि जब यहां से हमारे बच्चे निकलते थे तो हमें डर सा लगा रहता था कि चौराहे पर लोहे से टकराकर कोई घटना ना घट जाए लेकिन अब डर दूर हो गया है अब विवेकानन्द चौक गोलाकार रूप में बहुत सुन्दर हो गया है स्वच्छ और सुंदर दमोह बनाने में हरीश पटेल की लगातार सक्रीयता शहर वासियों को देखने मिल रही है ये कभी भी स्वयं अकेले या फिर अपनी टीम के साथ चौराहों गलियों में स्वच्छता कार्य करते दिख जाते हैं ।
हरीश कहते हैं अभी आम जनमानस का वैसा सहयोग मुझे नहीं मिल पा रहा है जैसा मैं चाहता हूं मैं चाहता हूं लोग स्वयं से शहर में कचरा ना करें कचरा करने वालों को रोके टोके और स्वच्छता के प्रति अपनी-अपनी जिम्मेदारी समझते हुए सहयोग करें पर देखने में आता है कि लोग स्वयं ही अपनी दुकान का कचरा बाहर सड़क पर फेंकते हैं घरों की खिड़कियों से कचरा फेंकते हैं कहीं भी पान खाकर थूकते हैं अगर इसमें सुधार नहीं आया तो स्वच्छता के मायने व्यर्थ है अगर लोग चाहते हैं कि शहर स्वच्छ और सुंदर बने तो उन्हें भी स्वयं से ईमानदारी से समर्पण भाव से स्वच्छता बनाए रखनी होगी बारिश के पहले जो नालियां साफ की जा रही हैं लोग स्वयं ही उसको वापस कचरे से भर देते हैं और फिर प्रशासन से उम्मीद करते हैं ये गलत है इसलिए लोगों में जागरुकता लानी बहुत ज़रूरी है मैं अपनी पूरी कोशिश कर रहा हूं लेकिन बिना जन सहयोग के सफलता पाना टेढ़ी खीर है मैंने आगे और भी बहुत सारी जगह चिन्हित की है जहां पर निर्माण कार्य होने हैं, कुछ चौराहे भी चिन्हित किए गए हैं, माननीय कलेक्टर सुधीर कोचर जी का पूरा सहयोग मुझे इसमें मिल रहा है इसके लिए मैं उनका आभारी हू स्वच्छता के इस मिशन में हम प्रशासन के कदम से कदम मिलाकर साथ में काम कर रहे हैं