समाज कार्य की परिभाषाएं क्या है

समाज सामाजिक संबंधों का जाल है मानवीय संबंधों का प्रमुख उद्देश्य आवश्यकताओं की पूर्ति करना है परंतु किसी भी समाज में ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं है जिसकी शत प्रतिशत आवश्यकता की पूर्ति की जा सके जब व्यक्ति की आवश्यकताओं की संतुष्टि नहीं होती तो व्यक्ति में चिंता कुंठा हीनता आर्थिक कठिनाई संबंध संबंधी अनेक मनो सामाजिक एवं आर्थिक समस्याएं उत्पन्न होती हैं। समाज कार्य के माध्यम से सामाजिक समस्याओं का समाधान किया जाता है ऐसे में समाज कार्य के संबंध में विभिन्न विद्वानों ने कुछ परिभाषाएं दी हैं जो निम्नलिखित हैं।
भारतीय प्राचीन ग्रंथो में समाज कार्य की यही परिभाषा दी गई है
सर्वे भवंतु सुखिन: सर्वे संतु निरामया
सर्वे भद्राणि पश्यंतु मां कश्चित दु:ख भाग भवेत्
अर्थात सभी सुखी हो सभी निरोगियों सबका कल्याण हो कोई भी दुखी ना हो।
*भारतीय विद्वानों के अनुसार समाज कार्य की परिभाषाएं* –
समाज कार्य की परिभाषा भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अनुसार- भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने समाज कार्य के विषय में एक नई परिभाषा दी है सबका साथ ,सबका विकास और सबका विश्वास।
दुर्गा बाई देशमुख के अनुसार – समाज के दुर्बल वर्गों की सहायता पहुंचाने के अतिरिक्त शिशु महिला तथा विकलांगों मानसिक मंदितो मनुष्य के लिए की गई सेवाएं समाज कार्य हैं।
प्रो सुशील चन्द्र के अनुसार – समाज कार्य एक गतिशील क्रिया है जो सामाजिक नीतियों को कार्य रूप देने के लिए व्यक्तिगत रूप से की जाने वाली सहायता है इसका मूल उद्देश्य जीवन स्तर को उन्नत करना है विकास के किसी भी चरण में समाज के अंतर्गत व्यक्ति परिवार एवं समूह का आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक कल्याण करना है।
महाराष्ट्र राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री बी जी खेर के अनुसार – साधारणतया समाज कार्य का उद्देश्य सामाजिक अनीतियो को समाप्त करना है और दुखों की रोकथाम करके समाज के निर्बल व्यक्ति और उनके परिवार जनों को उनके पुनर्वास में सहायता करना है।
हैरी एम कैसिडी के अनुसार -समाज सेवा में संगठित कार्य जिनका सीधा संबंध प्रथाओं या रूढ़ियों से है और जो मानवीय साधनों की रक्षा और उन्नति का काम करते हैं समाज सेवा है।
1.समाज कार्य की परिभाषा एलिस चेनी (1926)के अनुसार– समाज कार्य में भी संपूर्ण ऐच्छिक प्रयास समाहित हैं जिनका लक्ष्य जरूरत की संतुष्टि करना जिनका संबंध सामाजिक संबंधों से तथा जो वैज्ञानिक ज्ञान एवं विधियों का प्रयोग करते हैं।
2.समाज कार्य की परिभाषा हेलेन विटमर (1942) के अनुसार- समाज कार्य का मुख्य उद्देश्य ऐसे व्यक्तियों को उन समस्याओं के निराकरण में सहायता देना है जो संगठित समूह की सेवाओं का उपयोग करने में अथवा एक संगठित समूह के सदस्य के रूप में अपनी भूमिका संपादित करने में कठिनाई महसूस करते हैं।
3.समाज कार्य की परिभाषा फिन्क (1942) के अनुसार- समाज कार्य व्यक्तियों की एकांकी अथवा समूह में दी जाने वाली सेवाओं की एक ऐसी व्यवस्था है जो वर्तमान भविष्य में आने वाली उन सामाजिक व मनोवैज्ञानिक बाधाओ से निपटने में सहायता देती है। जो उन व्यक्तियों या समूह की पूर्ण रूपेण सामाजिक सहभागिता में बाधाएं उत्पन्न करती है समाज कार्य उन दशाओं का निर्माण करना है जो समाज के सदस्यों के लिए अधिक संतोषजनक जीवन यापन की संभावना को बढ़ावा देती हैं ।
4.समाज कार्य की परिभाषा क्लर्क के अनुसार – समाज कार्य व्यावसायिक सेवा का एक स्वरूप है जो ज्ञान और कौशल के सम्मिश्रण पर आधारित है जिसका कुछ अंश तो स्पष्टता समाज कार्य है और कुछ अंश समाज कार्य नहीं भी है जिसके द्वारा एक और व्यक्ति की इस प्रकार की सहायता की जाती है कि वह सामाजिक परिवेश में अपनी आवश्यकताओं की संतुष्टि कर सके और दूसरी ओर उन बढ़ाओ को यथासंभव दूर करने का प्रयास कर सके जो व्यक्तियों की अधिकतम संभव उपलब्धि जिसके लिए वह सक्षम है की प्राप्ति में बाधा डालती है।
5.समाज कार्य की परिभाषा फ्रिडलैंडर (1955) के अनुसार- समाज कार्य एक व्यावसायिक सेवा है जो मानव संबंधों के वैज्ञानिक ज्ञान एवं निपुणता पर आधारित है वह व्यक्तियों को अकेले या समूह में सहायता करती है ताकि वे सामाजिक एवं व्यक्तिगत संतुष्टि और स्वतंत्रता प्राप्त कर सकें। फ्रिडलैंडर का मत है की समाज का एक विज्ञान एवं कला दोनों ही है जो एक सामान्य ज्ञान एवं कौशल पर आधारित है जिसे हम सामान्य समाज कार्य कहते हैं।
6.समाज कार्य की परिभाषा बोयम (1959) के अनुसार- समाज कार्य व्यक्ति की सामाजिक प्रकारात्मकता को बढ़ावा देने का प्रयास करता है यह प्रयास वह अकेले एक व्यक्ति के लिए अथवा समूहों के लिए ऐसे क्रियाकलापों के द्वारा करता है जो व्यक्ति एवं पर्यावरण की अंतरक्रियाओ पर आधारित है। समाज कार्य योग्यताओं एवं क्षमताओं का पुनर्स्थापना व्यक्ति और समाज के साधनों की उपलब्धि और सामाजिक अपकारियों का निरोध की क्षीण एवं बीमार क्षमताओं का पुनर्स्थापना करना है। समाज कार्य एक सहायता देने वाला कार्य है जो की वैज्ञानिक ज्ञान एवं प्राविधिक कुशलताओं तथा जनतांत्रिक मानवतावादी दर्शन पर आधारित है।
7.समाज कार्य की परिभाषा कोनोपका 1958 के अनुसार – समाज कार्य सामाजिक सेवाओं का एक जाल है सतर्कता पूर्वक विकसित विधियां और प्रक्रियाएं तथा सामाजिक नीति जो सामाजिक संस्थाओं और व्यक्तियों द्वारा व्यक्त होती हैं यह सभी कारक मानवीय दृष्टिकोण उनके अंतर संबंधों और उनकी नैतिक मांगों पर आधारित है सामाजिक सेवाओं को समुचित रूप से प्रदान करने के लिए सावधानी के साथ विकसित प्रणालियों एवं प्रक्रियाएं प्रयोग में लाई जानी चाहिए।
8.समाज कार्य की परिभाषा हरबर्ट एच (1960) के अनुसार- समाज कार्य एक कला है जिसमें व्यक्ति ,समूह एवं समुदाय की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए तीन विभिन्न साधनों का प्रयोग किया जाता है लोगों की सहायता के लिए वैज्ञानिक वीडियो का प्रयोग इस ढंग से किया जाता है कि वह अपनी सहायता स्वयं कर सकें हरबर्ट ने समाज कार्य को एक कला के रूप में स्वीकार किया है किंतु इस संबंध में उन्होंने जो विचार व्यक्त किया है उसका सबसे महत्वपूर्ण अंश यह है कि लोगों की सहायता इस प्रकार की जाती है कि वह अपने पैरों पर खड़े हो सके और भविष्य में उन्हें दूसरों की सहायता लेने की आवश्यकता ना रह जाए वह अपनी सहायता स्वयं कर सके।
9.समाज कार्य की परिभाषा इंडियन कॉन्फ्रेंस ऑफ सोशल 1957 के अनुसार– समाज कार्य प्राविधिक निपुणताओं पर आधारित जिसका लक्ष्य एक सुखी और संपूर्ण जीवन व्यतीत करने के लिए व्यक्तियों समूहों और समुदायों की सहायता करना है।
10.समाज कार्य की परिभाषा खिण्डुका( 1962)के अनुसार- समाज कार्य किसी व्यक्ति को उसके सामाजिक प्रकार्यो में सहायता देता है यह वैज्ञानिक ज्ञान पर आधारित है और कार्यकर्ताओं में मानवीय संबंधों से जुड़ी हुई कुछ कुशलताएं भी होनी चाहिए यह कुछ मूल्य संकुल पर भी आधारित है जो उसके दार्शनिक आधार की पुष्टि करते हैं।
11.ब्रिटिश एसोसिएशन ऑफ़ सोशल वर्कर्स (2002) के अनुसार- समाज कार्य मानवीय संबंधों के बीच सामाजिक एवं समस्या सुलझाओ और सशक्तिकरण को बढ़ावा देता है और व्यक्तियों को ऐसी स्वतंत्रता प्रदान करता है कि उनके कल्याण में वृद्धि हो सके समाज कार्य सामाजिक परिवर्तन समस्या सुलझाओ एवं समाजीकरण को बढ़ावा देता है ताकि कल्याण में वृद्धि हो समाज कार्य सामाजिक प्रणाली में एक नियोजित निर्देशित एवं संगठित परिवर्तन लाना चाहता है ताकि समाज के मूल अप कार्यों को समाप्त किया जाए ।
12.समाज कार्य की परिभाषा सीमा सिंह जुग्गी के अनुसार – समाज कार्य सहायता कार्य के माध्यम से संबंधित कार्य है जो व्यक्ति समूह या समुदाय की क्षमता का विकास कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाता है।
13. समाज कार्य की परिभाषा हैमिल्टन ( 1951)के अनुसार – वित्तीय समूह का शारीरिक और आर्थिक कल्याण,स्वास्थ्य तथा उच्च जीवन स्तर,संतोष जनक संबंधों एवं अनुभव द्वारा सामाजिक कार्यात्मकता में वृद्धि करता है।
14. समाज कार्य की परिभाषा ब्राउन (1942) के अनुसार – समाज कार्य में गंभीर आर्थिक संकट से पीड़ित और पराश्रिम व्यक्तियों को भौतिक सहायता प्रदान करना व्यक्तियों को ऐसी सहायता प्रदान करना कि वे अपने आर्थिक एवं सामाजिक वातावरण में समायोजन स्थापित कर सकें। शिव आरती की समस्याओं का कार्य कारण संबंध गरीबी अपराध या स्वतंत्र रूप से उत्पन्न मानसिक समस्याओं का समाधान करने में मदद करना है।
15. समाज कार्य की परिभाषा एंडरसन जे.पी.(1945) के अनुसार – सामाजिक कार्यात्मकता की वृद्धि में व्यक्ति की व्यक्तिगत तथा समूह के माध्यम से सहायता ऐसी प्रक्रियाओं का प्रयोग करके करना है जिनका संबंध व्यक्ति व उसके वातावरण के मध्य अंतर क्रियो से होता है। समाज कार्य का उद्देश्य है कि व्यक्तिक सामूहिक तथा सामुदायिक आवश्यकताओं की पूर्ति न होने के कारण उत्पन्न अभ्यंतर व्यक्ति तथा अंतर व्यक्तिक समायोजन संबंधी समस्याओं का निदान व निराकरण करना है।
16.समाज कार्य की परिभाषा शास्त्री राजाराम (1970) के अनुसार- मनु सामाजिक समस्याओं के निदान और समाधान का जो नवीनतम तरीका विकसित हुआ है वह समाज कार्य हैं। समाज कार्य का एक विश्वास यह है कि व्यक्ति की आवश्यकताओं एवं इच्छाओं के आपूर्ति रहने पर कुछ मनो सामाजिक समस्या उत्पन्न होती हैं जिससे सेवा आरती का व्यवहार प्रभावित होते हैं समाज कार्य अंतर व्यक्तिक समस्याओं के समाधान का भी निरंतर प्रयास करता रहता है समाज कार्य के अंतर्गत तीन कारक अति महत्वपूर्ण है सामाजिक सेवाओं का जाल विकसित प्रणालियों एवं प्रक्रियाएं सामाजिक नीति जो सामाजिक अभिकरणों एवं युवतियों के माध्यम से प्रकट होती हैं।
17. समाज कार्य की परिभाषा आर्थर के अनुसार– समाज कार्य सेवाओं का ऐसा विधान है जो व्यक्ति को एकागी या सामूहिक रूप में वर्तमान या भाभी मनु सामाजिक बढ़ाओ को निपटने में सहायता देता है जो उन्हें समाज में पूरा या प्रभावशाली रूप से भाग लेने से रोकती है ।
नोट – समाज कार्य एक ऐसा विषय है जिसे हर कोई पढ़ना चाहता है जानना चाहता है जो छात्र समाज कार्य यानी मास्टर ऑफ सोशल वर्क की पढ़ाई कर रहे हैं उन्हें इसकी किताबें उपलब्ध नहीं हो पाती है इसकी एक वजह यह भी है कि समाज कार्य के विषय में कम किताबें लिखी गई है इसलिए हम अपने अध्ययन के आधार पर समाज कार्य की परिभाषाएं आपको उपलब्ध करा रहे हैं ताकि समाज कार्य के छात्रों को पढ़ाई में किसी प्रकार की कठिनाई का सामना न करना पड़ सके और वह इन परिभाषाओं को पढ़कर अपनी परीक्षा की तैयारी कर सकते हैं। यदि आप हमें किसी प्रकार का सुझाव देना चाहते हैं या हमसे किसी प्रकार से सहायता चाहते हैं तो आप हमें prabhatkikalam@gmail.com पर ईमेल भेज सकते हैं।