महामहिम राष्ट्रपति से मध्यप्रदेश की मांझी जाति को अनुसूचित जनजाति मे शामिल कर आरक्षण की मांग मांझी समिति इंदौर ने की

महामहिम राष्ट्रपति से मध्यप्रदेश की मांझी जाति को अनुसूचित जनजाति मे शामिल कर आरक्षण की मांग मांझी समिति इंदौर ने की

 

 

Rashtrapati se MP ki Manjhi jaati ko anusuchit janjati me Shamil kar Aarakshan ki mang Majhi Samaj Indore Ne ki
Rashtrapati se MP ki Manjhi jaati ko anusuchit janjati me Shamil kar Aarakshan ki mang Majhi Samaj Indore Ne ki

 

 

माजी जनजाति अधिकार संघर्ष समिति इंदौर मध्य प्रदेश ने मांझी जाति को अनुसूचित जनजाति की सूची में अधिसूचित करने की मांग महामहिम राष्ट्रपति से की है इंदौर कलेक्टर को ज्ञापन सौंप कर भारत के राष्ट्रपति से यह मांग की गई है कि मध्य प्रदेश की समस्त मांझी जाति की समस्त उपजातियो को अनुसूचित जनजाति की सूची में अधिसूचित किये जाने और आरक्षण प्रदान किये जाने की मांग की है।

 

 

माझी जनजाति अधिकार संघर्ष समिति इंदौर के अध्यक्ष गणेश प्रसाद रैकवार माझी ने महामहिम राष्ट्रपति को भेजे गए अपने ज्ञापन में कहा है कि मांझी जनजाति को मध्यप्रदेश राज्य में भारतीय संविधान, 1950 अनुच्छेद 341, 342 के तहत एवं भारतीय संविधान के संशोधन नियम 1976 के अनुसार सम्पूर्ण मध्यप्रदेश राज्य में अनुसूचित जनजाति का आरक्षण प्रदान किया गया है व माझी जनजाति के समाहित केवट, मल्लाह, भोई, ढीमर जातियों को पूर्व विंध्य प्रदेश के चीफ सेक्रेटरी के अनुशंसा पत्र क्रमांक 47/ xiii /F/census/49 दिनांक 7 जनवरी, 1950 के अनुसार जनजाति माना गया था पूर्व में माझी जनजाति को 8 जिलों में रीवा, सतना, सीधी, शहडोल, टीकमगढ़, छतरपुर, पन्ना, दतिया आदि विध्य क्षेत्रों के जिलों में माझी जनजाति की अनुसूचित जनजाति की सूची में अधिसूचित कर जनजाति (शेड्यूल ट्राईब्स) का आरक्षण प्रदान किया गया था, किन्तु माझी जनजाति में समाहित जनजाति केवट, मल्लाह, भोई, ढीमर जातियों को अधिसूचित नहीं किया गया था, जिसकी वजह से माझी जनजाति में समाहित जनजातियों को आरक्षण का लाभ नहीं दिया गया था।

 

 

जबकि 18 सितम्बर, 1976 को केन्द्रीय भारत सरकार द्वारा लोकसभा में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति संशोधन अधिनियम बिल पास कर मांझी जनजाति का क्षेत्रीय बंधन समाप्त करने की मांग की गई। श्री रैकवार का आगे कहना है कि मांझी जनजाति को सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में अनुसूचित जनजाति (शेड्यूल ट्राईब्स) का आरक्षण प्रदान किया गया है। वर्तमान में मध्यप्रदेश राज्य सरकार पुर्नगठन अधिनियम वर्ष 2000 के आदेशानुसार भी मांझी जनजाति को आरक्षण प्रदान है। फिर भी मांझी जनजाति में समाहित केवट, मल्लाह, भोई, ढीमर जातियों को अधिसूचित नहीं किया गया है, जिसकी वजह से माझी समाहित जातियों को आरक्षण नहीं दिया जा रहा है।

 

मध्यप्रदेश विधानसभा के वित्तकालीन सत्र में भी प्रश्न पूछा गया – मांझी समिति इंदौर के अध्यक्ष श्री रैकवार का कहना है कि मध्य प्रदेश विधानसभा के वित्त कालीन सत्र में भी विधायक श्री हीरालाल अलावाजी के द्वारा प्रश्न पूछा गया था जिस पर पूछे गये सवाल क्रमांक 1121 में मध्यप्रदेश सरकार के द्वारा माझी जनजाति में समाहित केवट, मल्लाह, भोई, ढीमर जातियों को माझी जनजाति के साथ अधिसूचित कर विधानसभा पटल पर जवाब दिया गया था हालांकि मांझी को अभी तक आरक्षण प्राप्त नहीं हुआ है।

 

ऐसे में अब मांझी समाज के लोगों ने अब महामहिम राष्ट्रपति महोदय से आरक्षण मांगने की गुहार लगाई है कि मध्यप्रदेश राज्य की माझी जनजाति में समाहित केवट, मल्लाह, भोई, ढीमर जातियों को माझी जनजाति के साथ अधिसूचित कर जनजाति के आरक्षण का लाभ प्रदान करने के आदेश जारी करने की मांग की है ताकि मांझी समाज की सामाजिक, शैक्षणिक एवं आर्थिक रूप से प्रगति और उन्नति कर सके।

FAQ.

माझी का मतलब नाव से क्या होता है?
मांझी का मतलब होता है नाव चलाने वाला नाविक होता है जों नदियों और समुद्र के किनारे निवास करते हैं और नाव चलाकर या मछली पालन और उसका व्यापार कर जीवन यापन करते हैं।

 

मांझी किस वर्ग में आता है?
उत्तर प्रदेश में तो मांझी जाति अनुसूचित जाति के वर्ग में आती है लेकिन मध्य प्रदेश में अभी यह संघर्षरत है। मध्य प्रदेश में निवास करने वाली उपजातियां को अभी अनुसूचित जाति का दर्जा नहीं दिया गया है इसकी मांग लगातार इस समाज के लोगों द्वारा की जा रही है।

 

मांझी किस जाति को कहा जाता है?
ढीमर ,केवट, मल्लाह, कश्यप, कहार, कछार,सिगरहा, आदि मांझी जाति की उपजातियां हैं यह मध्य प्रदेश सहित संपूर्ण भारत में पाई जाती हैं इनका मुख्य कार्य है सिंघाड़े उगाना मछली पालन करना नाव चलाना आदि।

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