एनजीओ का रजिस्ट्रेशन कहां होता है
NGO Ka Registration Kha Hota Hai

एनजीओ का रजिस्ट्रेशन फर्म एंड सोसाइटी के कार्यालय में ऑनलाइन प्रक्रिया के माध्यम से होता है आप फॉर्म एंड सोसाइटी के कार्यालय में जाकर वहां से संस्था रजिस्ट्रेशन के नियमों को देख सकते हैं एक बोर्ड फॉर्मेट समिति के कार्यालय में लगा होता है जिसमें रजिस्ट्रेशन की कार्यवाही के लिए आवश्यक दस्तावेज और चालान फीस की जानकारी होती है हालांकि मध्य प्रदेश सोसायटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम 1973 के अंतर्गत संस्थाएं रजिस्टर्ड होती हैं जिसमें 7 सदस्यों की आवश्यकता होती है ।
लेकिन किस अधिनियम किस धारा के अंतर्गत पंजीकृत होना है इस बात का निर्णय संस्था के उद्देश्यों और कार्यक्रमों पर निर्भर होता है वैसे तो पंजीकरण के अनेक अधिनियम हैं।
प्राय: समाज कल्याण संस्थाएं सोसाइटी रजिस्ट्रेशन एक्ट के अंतर्गत पंजीकृत होती हैं पंजीकरण संबंधी अधिनियमों का ब्यौरा निम्नलिखित है-
1.संस्थाओं /सोसाइटियों के लिए -सोसाइटी रजिस्ट्रेशन एक्ट 1860 ।
2.सहकारी समितियां के लिए- कोऑपरेटिव सोसाइटी रजिस्ट्रेशन एक्ट के अंतर्गत।
3.ट्रस्टों के लिए- इंडियन ट्रस्ट एक्ट के अंतर्गत।
4.चैरिटेबल कंपनी के लिए -कंपनी एक्ट 1956 के अंतर्गत।
5. महाराष्ट्र राज्य में चैरिटेबल एक्ट के तहत।
विधान और नियम- पंजीकरण के आवेदन के लिए संस्था का विधान और नियम तैयार करने के लिए निम्नलिखित मोटी-मोटी बातों का ध्यान रखना आवश्यक है-
एनजीओ का नामकरण-1. नाम संस्था के उद्देश्यों तथा क्रियाकलापों का सूचक हो।
2.नाम लंबा ना हो बल्कि संक्षिप्त हो।
3.नाम सरल और सुगम हो ताकि उसके बोलने और लिखने में कठिनाई न हो।
4.नाम ऐसा हो कि बिना कठिनाई के समझ में आ जाए।
5.नाम ऐसा हो जो कि संपूर्ण भारत में किसी और संस्था को नहीं दिया गया हो।
6.संस्था के विधान की पहली धारा में संस्था का पूरा नाम और 7.पंजीकृत कार्यालय का पूरा पता होना चाहिए।
एनजीओ के उद्देश्य – विधान की दूसरी धारा में संस्था के उद्देश्यों का ब्यौरा दिया जाना चाहिए। यदि आवश्यक हो तो इस धारा के दूसरे भाग में संस्था के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए उसके कार्यक्रमों का ब्यौरा भी दिया जा सकता है।
सदस्यता– संस्था के नियमों में उसकी सदस्यता के लिए निर्धारित योग्यताओं और योग्यताओं का भी वर्णन करना चाहिए। इसके लिए कुछ सुझाव निम्नलिखित हैं
- शुल्क की अदायगी
- न्यूनतम आयु
- संस्था की नीति में विश्वास और कार्यक्रमों में अभिरुचि ।
- योग्यताओं में शुल्क न देना मृत्यु दिवालिया हो जाना आदि सम्मिलित किए जा सकते हैं।
सदस्यता कई प्रकार की हो सकती है जैसे सामान्य सदस्य आजीवन सदस्य सक्रिय सदस्य संस्थात्मक सदस्य आदि। संस्थात्मक सदस्य से अभिप्राय है कि एक संस्था द्वारा दूसरी संस्था की सदस्यता प्राप्त करना।
अब ऑनलाइन एनजीओ रजिस्ट्रेशन होता है -एनजीओ रजिस्ट्रेशन करने के लिए अब कहीं किसी कार्यालय में जाने की आवश्यकता नहीं होती है अब आप ऑनलाइन माध्यम से एनजीओ का रजिस्ट्रेशन का आवेदन कर सकते हैं और एनजीओ का रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं आप जिस भी राज्य में रहते हो वहां के राज्य के सरकारी ऑनलाइन पोर्टल सेवा में जाकर आप एनजीओ का रजिस्ट्रेशन संबंधित विभाग में कर सकते हैं जैसे मध्य प्रदेश में सोसाइटी रजिस्ट्रीकरण एक्ट के अंतर्गत एमपी ऑनलाइन के माध्यम से आवेदन किया जा सकता है और संस्थाएं पंजीकृत ऑनलाइन ही हो जाती हैं मध्य प्रदेश सोसायटी रजिस्ट्रीकरण एक्ट के अंतर्गत मध्य प्रदेश में 5000 रूपए का चालान ऑनलाइन जमा करना होता है और आवश्यक दस्तावेजों के साथ सभी सदस्यों की जानकारी संस्था का बायोलॉजी यानी कि जो विधान आपने बनाया है उसकी कॉपी आपका आधार कार्ड पैन कार्ड के साथ वहां संलग्न होता है। 15 दिनों के भीतर यदि इसी प्रकार का ऑब्जेक्शन नहीं आया तो संस्था सीधे रजिस्ट्रेशन हो जाता है।
एनजीओ के पंजीकरण की प्रक्रिया –एनजीओ की पंजीकरण की प्रक्रिया में सबसे पहले आपको अपने उद्देश्य निर्धारित करना आवश्यक है कि आपका एन जी ओ किस क्षेत्र में जनहित कार्यक्रम करेगा उद्देश्यों को निर्धारित करने के बाद साथ सदस्यों की सूची उनके आधार कार्ड पैन कार्ड होने आवश्यक हैं इसके बाद आप अपने नजदीकी ऑनलाइन केंद्र में जाकर के एनजीओ रजिस्ट्रेशन का आवेदन कर सकते हैं ऑनलाइन पोर्टल की फीस आपको 3000 रुपए के आसपास लगेगी यानी कुल टोटल खर्च 8000 रूपए का होगा।
पंजीकरण की विधि- संस्था के विधान के पहले भाग के अंत में किन्ही साथिया उससे अधिक सदस्यों के नाम पते व्यवसाय आदि का उल्लेख होना चाहिए और उनके नाम के सामने उन सदस्यों के हस्ताक्षर होने चाहिए। संस्था के विधान के दूसरे भाग में कोई भी तीन सदस्य अपने हस्ताक्षरों द्वारा प्रमाणित कर सकते हैं गठन के विषय में पारित संकल्प की प्रामाणिक प्रति संलग्न कर पंजीयन के कार्यालय में निर्धारित शुल्क 5000 रूपए के चालान के साथ भेजनी चाहिए। यदि तब तक इस नाम से कोई और संस्था पंजीकृत नहीं हुई होगी तो पंजीयन द्वारा संस्था के नाम के आगे पंजीकृत संख्या लिख दी जाएगी इस पर संस्था के नाम एक सर्टिफिकेट जारी किया जाएगा जिसमें संस्था का नाम पता पंजीकृत संख्या तिथि और पंजीयन के हस्ताक्षर तथा मुहर होगी ।
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