नवरात्रि 2025 का छठवां दिन आज मां कात्यायनी की पूजा करें

नवरात्रि का छठवां दिन मां दुर्गा के छठे स्वरूप माता कात्यायनी को समर्पित है इस दिन माता की पूजा का विशेष महत्व है नवरात्रि के छठवें दिन मां कात्यायनी की पूजा करने का बहुत महत्व है।
विवाह संबंधी समस्याओं का समाधान- मान्यता है की माता जगदंबा कात्यायनी की सच्चे शुद्ध मन से आराधना करने से विवाह संबंधित समस्याओं का समाधान होता है माता उपासक पर अपनी कृपा बरसती हैं और विवाह में आ रही बढ़ाओ को दूर करती है शीघ्र विवाह का योग बनता है जिन कन्याओं के विवाह में देरी हो रही हो उन्हें माता जगत जननी कात्यायनी की पूजा करनी चाहिए।
सुखी वैवाहिक जीवन-माता कात्यायनी की उपासना से वैवाहिक जीवन में सुख शांति आती है और दांपत्य संबंध मजबूत होते हैं।
विजय और शक्ति की देवी- माता कात्यायनी को विजय और शक्ति की देवी माना जाता है माता कात्यायनी की पूजा उपासना करने से भक्त को भय से मुक्ति मिलती है और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
रोगों से मुक्ति- मां शक्ति कात्यायनी की उपासना करने से पीड़ित व्यक्ति रोग मुक्त होता है और रोगों से मुक्त रहता है माता रानी की कृपा से स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां नहीं आती हैं माता कात्यायनी की पूजा अर्चना से सड़क को धर्म ,अर्थ ,काम और मोक्ष इन चारों पुरुषार्थों पर विजय प्राप्त करने की शक्ति प्राप्त होती है।
कात्यायनी देवी मां दुर्गा के नौ रूपों में छठी शक्ति है जिन्हें नवदुर्गा माता भी कहा जाता है माता कात्यायनी की पूजा नवरात्रि के छठवें दिन की जाती है माता कात्यायनी को शक्ति और पराक्रम का प्रतीक माना जाता है।
देवी कात्यायनी का परिचय- माता कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत चमकीला और उज्जवल है उनकी चार भुजाएं हैं और वह शेर पर सवार रहने वाली देवी हैं माता का दाहिना हाथ अभय मुद्रा यानी भय मुक्ति और नीचे का हाथ व मुद्रा यानी वरदान देने वाला है माता के बाएं हाथ में कमल और नीचे के हाथ में तलवार सुसज्जित है।

माता कात्यायनी की उत्पत्ति की कथा- मान्यता है कि महर्षि कात्यायन ने मां भगवती की कठोर तपस्या कर उन्हें पुत्री रूप में पानी का वरदान माता से मांगा था और माता ने महर्षि कात्यायन को पुत्री रूप में जन्म लेने का वरदान दिया था जब महिषासुर नामक असुर का अत्याचार पृथ्वी पर बहुत अधिक बढ़ गया तब ब्रह्मा ,विष्णु, महेश ने अपनी तेज का अंश देकर एक देवी को उत्पन्न किया महर्षि कात्यायन ने सर्वप्रथम इन माता की पूजा की इसलिए वह देवी शक्ति माता कात्यायनी कहलाई। माता कात्यायनी को महिषासुर वर्धिनी भी कहा जाता है क्योंकि माता कात्यायनी ने महिषासुर का वध कर पृथ्वी को उसके अत्याचारों और पापों से मुक्त किया था।
माता कात्यायनी की पूजा विधि- माता कात्यायनी की पूजा विधि सरल है माता कात्यायनी की पूजा करने से विवाह और प्रेम संबंधों की बढ़ाएं दूर होती हैं उपासक भय से भी मुक्त होता है माता की पूजा शाम के समय करना अत्यंत शुभ माना गया है।
स्नान- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ बस धारण करें इस दिन पीले या हरे रंग के वस्त्र पहनना चाहिए शुभ माना जाता है।
पूजा स्थल- पूजा स्थल या चौकी को साफ करें और गंगाजल चिड़कर शुद्ध करें।
तस्वीर या प्रतिमा -चौकी पर मां कात्यायनी की तस्वीर प्रतिमा को स्थापित करें।
संकल्प- हाथ में जल पुष्प और अक्षत लेकर माता का ध्यान करें और व्रत पूजा का संकल्प लें।
दीप और धूप -घी का दीपक जलाएं अगरबत्ती जलाएं माता को दिखाएं।
अर्घ्य और स्नान-माता की मूर्ति पर जल पंचामृत दूध घी शहद गंगाजल से स्नान कराएं।
पुष्प अर्पित करें- माता को पीले पुष्प चढ़ाए लाल वस्त्र अर्पित करें।
श्रृंगार– रोली कुमकुम सिंदूर अक्षत चावल और सोलह सिंगार का सामान अर्पित करें।
हल्दी की गांठ चढ़ाएं -शीघ्र विवाह के लिए हल्दी की तीन गांठ है अर्पित करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
भोग -माता कात्यायनी को शहर अत्यंत प्रिय है इसलिए शहद मिलाकर हलवा का भोग लगाना चाहिए।
जाप पाठ- माता को भोग लगाने के बाद रुद्राक्ष की माला से उनके मित्रों का काम से कम 108 बार जाप करें।
आरती- माता कात्यायनी की आरती करें और भोग प्रसाद सभी को बांटे।