भारत में अंगदान की परंपरा का निर्वहन जारी है अहमदाबाद की बटवा गांव के इंद्रजीत सिंह राजपूत ने ब्रेनडेड की अवस्था में अंगदान कर एक आदर्श मिसाल पेश की है केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय भारत सरकार नेशनल आर्गन टिशु ट्रांसप्लांटेशन (नोटों )दिल्ली द्वारा सांझा की गई जानकारी के अनुसार गुजरात के अहमदाबाद सिविल अस्पताल में 164 व अंगदान ब्रेनडेड की अवस्था में किया गया इस अस्पताल में अब तक हृदय दान की संख्या 50 हो गई है भारत सरकार नोटों द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार इंद्रजीत सिंह राजपूत के साथ 31 अगस्त 2024 को एक दुर्घटना में घायल हो गए थे उनके सिर पर गहरी चोट लग गई थी उन्हें स्थानीय लोग अस्पताल में भर्ती कराया गया था इसके बाद सिविल अस्पताल में 1 सितंबर 2024 को भर्ती कराया गया विशेषज्ञों की सारी कोशिशें के बाद भी उनके दिमाग ने काम करना बंद कर दिया और 4 सितंबर 2024 को इंद्रजीत को ब्रेनडेड घोषित कर दिया गया।
परिवार की सहमति के बाद अंगदान प्रक्रिया –
इसके बाद सिविल अस्पताल के चिकित्सकों ने इंद्रजीत की पत्नी भाई भाभी और जीजा को अंगदान करने की जानकारी दी ऐसे कठिन समय में जबकि परिवार के प्रिय सदस्य के दिमाग की मृत्यु हो चुकी है तो परिवार के बाकी सभी सदस्य गण गहरे दुख और पीड़ा में होते हैं ऐसे में अंगदान का निर्णय लेना बहुत ही कठिन कार्य होता है राजपूत परिवार ने इंद्रजीत सिंह के अंग दान करने का निर्णय लिया परिवार की सर्वसम्मति मिलने के बाद चिकित्सकों ने अंगदान की प्रक्रिया आरंभ की और प्रतीक्षा सूची के आधार पर इंद्रजीत की दोनों किडनी अस्पताल कि जरूरतमंद मरीजों को और हृदय को सिम्स अस्पताल अहमदाबाद के मरीजों को प्रत्यारोपित किया गया इंद्रजीत के अंगदान से तीन लोगों को जीवनदान मिल सका।
अंगदान जागरूकता के लिए भारत सरकार के प्रयास जारी हैं – 14 वें राष्ट्रीय अंगदान दिवस पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री अनुप्रिया ने अंगदान पर चर्चा करते हुए कहा कि यह एक भावनात्मक क्षण है दान करता के परिवार को देखना अपने स्वजनों के अंगदान का निर्णय लिया यह एक बहुत कठिन निर्णय है हम सभी उनकी भावनाओं को समझ पाएंगे जब हम उनके स्थान पर अपने आप को रखकर कल्पना करेंगे कि हम यदि ऐसी स्थिति में हो तो हमारे लिए यह निर्णय कितना कठिन होगा अपने स्वजनों के अंग दान करके उन्होंने एक-एक व्यक्ति ने 8-8 लोगों को जीवन दान दिया है यह सामान्य बात नहीं है बल्कि मानवता का परोपकार का सबसे बड़ा करम है सबसे बड़ा कर्तव्य है और मैं इस मंच से उनको बहुत-बहुत सरधुवा देता हूं जिन्होंने ऐसे कठिन समय में अंगदान करने का निर्णय लिया।
अंगदान करने के लिए क्या करना पड़ता है?
अंगदान करने के लिए नेशनल आर्गन टिशु एंड ट्रांसप्लांटेशन ऑर्गेनाइजेशन दिल्ली (नोटों) और मोहन फाउंडेशन को ऑनलाइन ऑफलाइन संकल्प पत्र भर जाता है फिर आपको एक डोनर कार्ड प्रदान किया जाता है जो इस बात का प्रतीक होता है कि आपकी अंगदान करने की इच्छा है संकल्प पत्र भरने के लिए परिवार के दो लोगो की सहमति की आवश्यकता होती है वह सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करते हैं।
अंगदान करने के लिए कौन सा फॉर्म भरना पड़ता है?
अंगदान करने के लिए फार्म 7 भरना होता है जो आपको Notto भारत सरकार और मोहन फाउंडेशन की वेबसाइट पर आसानी से उपलब्ध हो जाता है।
अंग दान के लिए पंजीकरण कैसे करें?
अंगदान के लिए पंजीकरण दो प्रकार से होता है पहला तो हम संकल्प पत्र भरते हैं और हमें डोनर कार्ड प्रदान किया जाता है जो सामान्यतः सभी लोग कर सकते हैं लेकिन दूसरा जब किसी व्यक्ति का ब्रेनडेड हो जाता है और ऐसी स्थिति में अंगदान की सहमति उसके परिवार जन प्रदान कर देते हैं तो इस सहमति पत्र भरने को अंगदान पंजीकरण कहा जाता है।
क्या हिंदू धर्म में अंगदान की अनुमति है?
हां हिंदू धर्म ग्रंथो के अनुसार हिंदू धर्म में अंगदान की अनुमति है हिन्दू धर्म में महर्षि दधीचि अंगदान का एक विश्वसनीय उदाहरण है।