नागपंचमी पर भगवान शिव शंकर और नागदेवता का अभिषेक पूजन ऐसे करें पंडित मोहित तिवारी

आज नाग पंचमी है सावन शुक्ल पंचमी की तिथि नाग पंचमी को समर्पित है नाग पंचमी के दिन नागों का विशिष्ट पूजन हमारी संस्कृति है नाग पंचमी के दिन हिंदू धर्म के लोग नाग देवता की विशेष पूजा करते हैं सावन का पावन मास जिस तरह भगवान शंकर की भक्ति के लिए प्रसिद्ध है इस तरह नाग पंचमी भी नाग देवता की भक्ति के लिए प्रसिद्ध है इस साल 29 जुलाई 2025 मंगलवार को नाग पंचमी मनाई जा रही है सनातन धर्म में नाग पंचमी पूजा का विशेष महत्व है नाग पंचमी के दिन पूर्ण भक्ति भाव और श्रद्धा के साथ नाग देवता का पूजन करने और भगवान भोलेनाथ को जल चढ़ाने से जीवन की सभी संकट दूर हो जाते हैं नाग पंचमी के दिन भगवान शिव की विशेष रूप से आराधना की जाती है क्योंकि नाग देवता भगवान बासुकी भोलेनाथ के गले में निवास करते हैं।
मान्यता है कि नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा करने से कुंडली में मौजूद कालसर्प दोष से मुक्ति मिल जाती है और भगवान भोलेनाथ और नाग देवता की पूजा करने से घर में सुख समृद्धि आती है नाग देवता की पूजा से भाई से मुक्ति मिल जाती है भगवान शिव शंकर प्रसन्न होकर भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं नाग पंचमी के दिन किसी भी शिव मंदिर में तांबे या चांदी के नाग नागिन जोड़ा अर्पित करें या बहते जल में प्रवाहित करें यदि संभव हो सके तो जल में स्नान करें।
पंडित मोहित तिवारी के अनुसार नाग पंचमी का शुभ मुहूर्त- 29 जुलाई 2025 को पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 5:41 बजे से 8:23 तक रहेगा इस मुहूर्त में नाग देवता की विधि पूर्वक पूजा करने से अत्यंत शुभकारी होता है कालसर्प दोष और सर्प दंश से मुक्ति मिल जाती है।
पंडित मोहित तिवारी के अनुसार नाग देवता की पूजा-
- नाग देवता को कच्चे दूध और पवित्र जल से स्नान कराएं।
- उन्हें पुष्प, चंदन ,अक्षत ,हल्दी ,कुमकुम ,दूध ,घी ,कुश ,गुण आदि चढ़ाए।
- दूध में चीनी मिलाकर नाग देवता को भोग लगाएं ।
फल पंचामृत आदि चढ़ाए। - धूप दीप जलाएं और आरती करें।
भगवान शिव शंकर की पूजा करें-
- नाग देवता के आराध्य देव भगवान शिव शंकर की विधि व्रत पूजा करें।
- शिवलिंग का कच्चे दूध से अभिषेक करें ।
- भगवान शिव को बेलपत्र और जल अर्पित करें।
- उनके गले में विराजमान नाग देवता की भी पूजा करें।

श्रावण मास पर भगवान भोलेनाथ का रुद्राभिषेक मां नर्मदा के तट पर बसे जबलपुर के चंद्र मोलेश्वर शिव मंदिर में संपन्न हुआ। सावन के बीसवां दिन भगवान भोलेनाथ का रुद्राभिषेक किया गया। रुद्राभिषेकाचार्य पं मोहित तिवारी ने वैदिक मंत्रों के साथ चंद्र मोलेश्वर शिव महादेव मंदिर में भगवान शिव शंकर का पूजन अर्चन विधिवत किया पं मोहित तिवारी ने बताया कि महाभारत काल में तक्षक नाग ने राजा परीक्षित को डंसा था। इन्हीं की घटना से नाग पंचमी की परंपरा जुड़ी हुई है। तक्षक की पूजा से जीवन के बड़े संकट और आकस्मिक घटनाओं से भगवान शिव रक्षा करते है साथ ही कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है,नागपंचमी में भगवान शिव के साथ भगवान नाग देवता का नमः शिवाय या ॐ सोमेश्वराय नमः मंत्र जाप के साथ अभिषेक किया गया। श्री तिवारी बताते हैं नाग पंचमी का त्यौहार हमें प्रकृति और जीवन के प्रति सम्मान का संदेश देता है यह पर्व भारतीय संस्कृति में नागों के महत्व को दर्शाता है ।
FAQ.
1.नाग पंचमी के दिन पूजा कैसे की जाती है?
नाग पंचमी के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें।
इसके बाद देवी-देवताओं का ध्यान करें।
फिर सूर्य देव को जल चढ़ाएं।
पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करें।
घर के मंदिर के पास एक साफ चौकी रखें उस पर साफ कपड़ा बिछाएं।
नाग देवता को कच्चे दूध और पवित्र जल से स्नान कराएं।
उन्हें पुष्प, चंदन ,अक्षत ,हल्दी ,कुमकुम ,दूध ,घी ,कुश ,गुण आदि चढ़ाए।
दूध में चीनी मिलाकर नाग देवता को भोग लगाएं ।
फल पंचामृत आदि चढ़ाए।
धूप दीप जलाएं और आरती करें।
2.नाग पंचमी अच्छी है या बुरी?
बसंत पंचमी का त्योहार अत्यंत शुभकारी माना गया है इस दिन भगवान शिव शंकर और नाग देवता की विशेष पूजा की जाती है।