लोक कल्याणकारी राज्य की अवधारणा क्या है लोक कल्याणकारी राज्य की अवधारणा से क्या अभिप्राय है विवेचन करे
लोक कल्याणकारी राज्य या जनकल्याणकारी राज्य की अवधारणा- लोक कल्याणकारी राज्य का तात्पर्य एक ऐसे राज्य से है जो जनता के कल्याण के लिए अत्यधिक कार्य करता है तथा जो अपने सभी नागरिकों को न्यूनतम जीवन स्तर प्रदान करना अपना अनिवार्य उत्तरदायित्व समझता है लोक हितकारी राज्य प्रत्येक व्यक्ति को आर्थिक राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्र में समान अवसर प्रदान करता है उसकी साधारण आवश्यकताओं की पूर्ति की जाती है ग्रीक के अनुसार राज्य को निरंतर सत्य की रक्षा करनी चाहिए व्यक्तियों के नैतिक जीवन का पथ प्रदर्शन शुद्धि तथा नियंत्रण करना चाहिए आज लोक कल्याणकारी राज्य का योग है लोक कल्याणकारी राज्य इस युग को कहा जाता है जो कि मानव जीवन के प्रत्येक पहलू से संबंधित हो तथा उसके विकास के लिए प्रार्थना करता है अपने बदले हुए परिवेश के कारण राज्य के कार्य क्षेत्र में निरंतर विस्तार होता जा रहा है जीवन का शायद ही ऐसा कोई पहलू हो जो कि राज्य के क्षेत्र से अलग हो।
लोक कल्याणकारी राज्य की परिभाषा निम्नलिखित है
1.पंडित नेहरू के अनुसार- सबके लिए समान अवसर प्रदान करना अमीरों गरीबों के बीच अंतर मिटना और जीवन स्तर को ऊपर उठाना कल्याणकारी राज्य के आधारभूत तत्व हैं।
- काण्ट के अनुसार – कल्याणकारी राज्य के तात्पर्य उस राज्य से है जो अपने नागरिकों के लिए अधिक से अधिक सामाजिक सुविधा प्रदान करता है।
- लास्की के अनुसार – कल्याणकारी राज्य लोगों का वह संगठन है जिसमें सबका सामूहिक रूप से अधिक हिट हो सके।
कल्याणकारी राज्य की विशेषताएं
1.राजनीतिक सुरक्षा- कल्याणकारी राज्य में सभी व्यक्तियों का जीवन सुरक्षित रखने के लिए पुलिस आदि की व्यवस्था की जाती है शासन का यह प्रथम कर्तव्य होता है कि वह कानून और व्यवस्था बनाए रखें।
- लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था – कल्याणकारी राज्य के लिए यह आवश्यक है कि वहां की शासन व्यवस्था लोकतांत्रिक हो जनता के निर्वाचित प्रतिनिधियों का शासन हो और नागरिकों के विचार एवं अभिव्यक्ति की पूर्ण स्वतंत्रता हो।
- लोक कल्याण– कल्याणकारी राज्य का शासन का मुख्य उद्देश्य लोक कल्याण करना होता है शासन के कार्य इस प्रकार से संपादित किए जाते हैं की जनता का हित एवं कल्याण हो।
- विश्व शांति में विश्वास– कल्याणकारी राज्य विश्व शांति में विश्वास करता है वह सभी पड़ोसी देशों के साथ मित्रता स्थापित करने का प्रयास करता है इतना ही नहीं वरुण वह तो संपूर्ण विश्व में शांति चाहता है।
- आर्थिक सुरक्षा- कल्याणकारी राज्य में कोई व्यक्ति निर्धन नहीं होता हर व्यक्ति के रोजगार एवं आजीविका की व्यवस्था राज्य करता है।
6.-भेदभाव का अंत- कल्याणकारी राज्य में भाषा जाति संप्रदाय आदि किसी भी आधार पर समाज में व्यक्तियों के साथ भेदभाव का व्यवहार नहीं होता इस व्यवस्था में सामाजिक न्याय पर बोल दिया जाता है सभी व्यक्तियों के साथ समानता का व्यवहार किया जाता है।
- सामाजिक सुरक्षा– कल्याणकारी राज्य में प्रतीक व्यक्ति को सामाजिक सुरक्षा प्रदान की जाती है शासन की ओर से सार्वजनिक स्वास्थ्य की व्यवस्था की जाती है विकलांग पेंशन वृद्धा पेंशन की व्यवस्था की जाती है।
लोक कल्याणकारी राज्य के कार्य
- नागरिक स्वतंत्रता -कल्याणकारी राज्य का आदर्श लोकतंत्र व्यवस्था में भली प्रकार प्राप्त और पूरा किया जा सकता है और लोकतंत्र में नागरिक स्वतंत्रता दी जानी चाहिए राज्य को चाहिए कि वह अपने नागरिकों को विचार अभिव्यक्ति सम्मेलन निर्माण आने-जाने बेसन व्यवसाय करने की पूर्ण स्वतंत्रता प्रदान करें इससे कल्याणकारी राज्य की व्यवस्था का औचित्य सही होता है।
- अंतर्राष्ट्रीय कार्य- राज्य को देश के अंदर ही नहीं राज्य के बाहर अर्थात अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में भी ऐसा कार्य करना चाहिए कि अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में शांति सहयोग और सद्भावना की स्थापना हो लोक कल्याणकारी राज्य के कार्यों की सूची बनाना संभव नहीं है।
- समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर करना -समाज में व्याप्त विभिन्न बुराइयां जैसे सामाजिक भेदभाव धार्मिक कट्टरता,जातीय ,भाषागत ,सांप्रदायिक भेदभाव को दूर करना लोक कल्याणकारी राज्य का दायित्व होता है।
- यातायात एवं संचार उपलब्ध कराना– जनकल्याणकारी राज्य का कार्य यातायात तथा संचार के साधन उपलब्ध कराना भी है राज्य द्वारा सड़क रेल जल मार्ग वायु मार्ग आदि की व्यवस्था की जाती है इसके अतिरिक्त डॉक्टर, टेलीफोन, रेडियो आदि का संचालन और प्रबंध भी राज्य द्वारा किया जाता है।
5.सार्वजनिक स्वास्थ्य की व्यवस्था करना -लोगों को महामारियों एवं अन्य संक्रामक रोगों से बचाना इसके लिए अस्पतालों को खोला जाए विभिन्न रोगों की रोकथाम के लिए राज्य विशाल अभियान चलाएं।
6- सार्वजनिक शिक्षा की व्यवस्था करना– यदि राज्य के नागरिक सु सांस्कृतिक व शिक्षित होंगे तो राज्य भी मजबूत होगा अतः राज्य को शिक्षा के विभिन्न साधन उपलब्ध कराने चाहिए ऐसी व्यवस्थाओं की सभी को शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार अवसर प्राप्त हो सके।
- आर्थिक विकास -राज्य का न केवल व्यक्ति की आर्थिक सुरक्षा करना अपितु उसे राज्य के आर्थिक विकास हेतु समुचित कदम उठाना चाहिए इसके लिए उसे कृषि सुधार व्यापार नियमन मुद्रा निर्माण नापतोल की व्यवस्था सिंचाई हेतु नहरे का निर्माण प्राकृतिक संसाधनों का विकास और संरक्षण आदि का समस्त कार्य करना चाहिए राज्य के कार्य क्षेत्र में लोक कल्याणकारी राज्य में बहुत अधिक वृद्धि हो जाती है मोटे तौर पर कहा जा सकता है कि राज्य को अपने नागरिकों तथा देश के विकास व सुरक्षा के लिए सभी प्रकार के कार्य करना चाहिए।
8.व्यक्तियों को आर्थिक सुरक्षा- राज्य का प्रमुख कार्य लोगों को पूर्ण आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना है राज्य के प्रत्येक व्यक्ति के लिए रोजगार की व्यवस्था करें तथा उचित पारिश्रमिक उपलब्ध कारण इसके अतिरिक्त वह मजदूरों को शोषण से बचाए इसके लिए मजदूरों के काम के घंटे निश्चित करें तथा काम करते समय सुरक्षा की व्यवस्था करें।
आलोचना
1.नौकरशाही– कल्याणकारी राज्य में समस्त कार्य लोक सेवकों के द्वारा किए जाते हैं इसके फल स्वरुप नौकरशाही व्यापक रूप में फैल जाती है अनावश्यक विलंब कानूनी औपचारिकताएं भाई भतीजाबाद भ्रष्टाचार का बोल वाला शासन में हो जाता है और जब तक शासन का निर्णय जनता तक पहुंचता है उसे कार्य की उपयोगिता खत्म हो चुकी होती है।
2.समुचित कार्य नहीं- यद्यपि इस लोक कल्याणकारी राज्य कहा जाता है लेकिन जनता का कल्याण वास्तविक रूप में नहीं हो पता लोगों को शासन की कल्याणकारी योजनाओं का वास्तविक लाभ नहीं मिल पाता इसका फायदा समाज के संपन्न वर्ग ज्यादा उठा लेते हैं।
- स्वतंत्रता पर आघात– कल्याणकारी राज्य में राज्य के कार्यक्षेत्र में अत्यधिक वृद्धि होने के कारण कानून की संख्या में आशा अतीत वृद्धि हो जाती है इसके परिणाम स्वरुप नागरिक स्वतंत्रता काम हो जाती है।
- खर्चीली– अनेक कार्य संपन्न करने के लिए राज्य को हर क्षेत्र में अधिक खर्च करना पड़ता है इसका परिणाम यह होता है कि शासन को खर्च पूरा करने के लिए कई प्रकार से जनता पर करारोपण करना पड़ता है और इससे भ्रष्टाचार खूब पनपता है।
निष्कर्ष– उपर्युक्त आलोचनाओं के बावजूद इसमें संदेह नहीं की लोक कल्याणकारी राज्य की अवधारणा आज सर्वाधिक लोकप्रिय विचारधारा है और दुनिया के सभी देश इस अवधारणा को स्वीकार कर चुके हैं।