समाज कार्य के क्षेत्र का वर्णन कीजिए

समाज कार्य के क्षेत्र का वर्णन कीजिए
Samaj karya ke kshetra ka varnan kijiye

Samaj karya ke kshetra ka varnan kijiye
Samaj karya ke kshetra ka varnan kijiye

 

समाज कार्य का क्षेत्र
समाज कार्य का कार्य क्षेत्र प्रत्येक समाज की अपनी विशिष्ट आवश्यकताओं तथा समस्याओं पर निर्भर है इस व्यवसाय में सम्मिलित की जाने वाली सभी सेवाओं का कोई निश्चित और सामान्य आधार बताना संभव नहीं है।

समाज कार्य का क्षेत्र दो भागों में बांटा गया है
1.मनुष्य उसकी आवश्यकता है और समस्याएं
2. वातावरण संबंधी में परिस्थितियां जिनकी आवश्यकताएं एवं समस्या उत्पन्न होती हैं बिना आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं हो पाती तब समस्या गंभीर रूप धारण कर लेते हैं और बड़ी समस्याएं बन जाती हैं।

समाज कार्य का विषय क्षेत्र- मनुष्य की यह आवश्यकता है बच्चों, बालको, युवकों ,महिलाओं ,पुरुषों और वृद्धो किसी से भी संबंध हो सकती हैं जब वातावरण के विपरीत परिस्थितियों के कारण ज़रूरतें उत्पन्न होती हैं और उनकी पूर्ति नहीं हो पाती तो ऐसी स्थिति में व्यक्ति के लिए समस्या का कारण निर्मित होता है वातावरण संबंधी परिस्थितियां सामाजिक ,आर्थिक और राजनीतिक हो सकती हैं सामाजिक वातावरण के अंतर्गत समाज के किसी एक या उससे अधिक वर्ग में पिछड़े पन या हीनता के भाव परिलक्षित होते हैं आर्थिक दशाओं के अंतर्गत समाज के वर्गों में आर्थिक असमानताएं उत्पन्न होती हैं और गरीबी बढ़ती है राजनीतिक वातावरण की ऐसी दशाएं समाज में व्यक्ति के स्वस्थ्य विकास और स्वतंत्रता में बाधा उत्पन्न करती हैं इस प्रकार कहा जा सकता है कि पर्यावरण संबंधी ऐसी दशाएं सामाजिक आर्थिक व राजनीतिक क्षेत्र में समस्याएं उत्पन्न करती हैं समाज कार्य के कई क्षेत्र हैं जैसे बाल कल्याण, महिला कल्याण ,युवा कल्याण ,परिवार कल्याण, नगर सामुदायिक कल्याण ,श्रम कल्याण ,चिकित्सा संबंधी कल्याण ,ग्रामीण कल्याण पिछड़े वर्गों का कल्याण, आवास व्यवस्था और कल्याण , सामाजिक सुरक्षा और बीमा योजना कल्याण, वृद्ध कल्याण नगर सामुदायिक कल्याण आदि समाज कार्य के क्षेत्र हैं।

 

*समाज कार्य क्षेत्र की परिभाषा*

1.”फ्रीडलैंडर के अनुसार” – समाज कार्य क्षेत्र की व्याख्या समाज कार्य की मुख्य गतिविधियों को सेवा के प्रकारों के अनुसार विभक्ति करके किया है उदाहरण परिवार कल्याण सेवाएं, बाल कल्याण सेवाएं, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा सेवाएं ,मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं, सुधारात्मक सेवाएं ,सामुदायिक कल्याण सेवाएं ,जन सहायता सामाजिक बीमा आवासीय सेवाएं, रोजगार संबंधी सेवाएं ,युवकों के खाली समय से संबंधित सेवाएं ,अंतर्राष्ट्रीय सामाजिक सेवाएं आदि शामिल है।

 

2.”योजना आयोग भारत सरकार के अनुसार”- योजना आयोग ने समाज कार्य के क्षेत्र की सेवाएं जैसे परिवार कल्याण सेवाएं ,बाल कल्याण सेवाएं, महिला कल्याण सेवाएं, युवक कल्याण सेवाएं, विकलांगों के लिए सेवाएं, पिछड़े एवं कमजोर वर्गों के लिए सेवाएं ,सामुदायिक सेवाएं ,अंतरराष्ट्रीय स्तर की कल्याण सेवाएं, चिकित्सीय समाज कार्य सेवाएं, मनु सामाजिक एवं मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्या के समाधान हेतु सेवाएं,असमायोजित व्यक्तियों के लिए सेवाएं आदि हैं।

3.”मौरे के अनुसार”-समाज कार्य सरकारी और चांदी द्वारा सहायता प्राप्त गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा किया जाता है जिसमें वे व्यक्ति फीस लेते हैं जो सेवाओं का लाभ उठाते हैं। परिस्थितियों और उद्देश्यों के परिवर्तन के फल स्वरुप समाज कार्य का क्षेत्र भी बदलता रहा है गैर सरकारी संस्थाओं का कार्य पिछले कई दशकों से बढ़ता रहा है इसी प्रकार उसे क्षेत्र का विकास भी होता रहा है।

 

1. “बाल कल्याण “-बच्चों के कुछ जन्मजात अधिकार हैं जो प्रत्येक दशा में उन्हें मिलनी चाहिए संयुक्त राष्ट्र समझौते के अनुसार बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए न्यूनतम जीवन स्तर सुनिश्चित करना और प्राथमिक शिक्षा की समुचित व्यवस्था करना सबसे महत्वपूर्ण है प्रतीक बालक को ऐसा जीवन स्तर प्राप्त करने का अधिकार है जो उनके शारीरिक मानसिक नैतिक और सामाजिक विकास के लिए पर्याप्त हो 1967 में भारत सरकार ने बालकों की समस्याओं की विस्तार से जानकारी के लिए श्री गंगा शरण सिंह की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था समिति का विचार था कि बालकों की विभिन्न आवश्यकताओं को जानने और उसमें प्राथमिक को निश्चित करने तथा बाल कल्याण योजनाओं में एकीकरण करने के लिए एक राष्ट्रीय नीति का निर्माण किया जाना चाहिए जिसके परिणाम स्वरुप 1974 में राष्ट्रीय बाल नीति प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें बच्चों को पर्याप्त शिक्षा पोषण और स्वास्थ्य संबंधी सुविधाएं उपलब्ध कराने के साथ शोषण के विरुद्ध उन्हें संरक्षण प्रदान करने संबंधी उपाय करने पर जोर दिया ।

 

 

2.महिला कल्याण

3.युवा कल्याण

4.परिवार कल्याण

5. वृद्ध कल्याण

6.श्रम कल्याण

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