वंशानुक्रम की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए

वंशानुक्रम की अवधारणा- मुर्गी के अंडे से मुर्गी के बच्चे ही निकलते हैं एक गाय बछड़े को ही जन्म देती है विभिन्न पक्षियों के छोटे-छोटे अंडों में कोई अनुमान भी नहीं लग सकता कि आगे जरुर इनमें से कोई तोता, मैना ,कोयल और कौआ बन जाएगा अपनी अपनी जाति के पक्षियों की तरह रंग रूप आकार पंख चोंच पंजे आदि यह किस प्रकार ग्रहण कर लेते हैं एक ही जाति के प्राणियों में इतनी अनुरूपता और अलग-अलग जाति के प्राणियों में इतनी विषमता कैसे पैदा हो जाती है फिर एक ही जाति के सभी प्राणी भी तो बिल्कुल समरूप नहीं होते सभी बछड़े एक जैसे नहीं होते और ना सभी मुर्गी और मुर्गियां ही एक जैसे होते हैं यहां तक की एक ही मां-बाप से उत्पन्न संतानों में भी बहुत अंतर देखने को मिलता है इस प्रकार की अजब समानताओं और विषमताओं के लिए प्राय वंशानुक्रम को उत्तरदाई ठहराया जाता है यह कहा जाता है कि कोई भी प्राणी अपने माता-पिता और पूर्वजों के गुना को विरासत में प्राप्त करता है और इसी कारण वह अपने माता-पिता पूर्वज तथा अपनी जाति के सदस्यों से अधिक साम्य रखता है।

वंशानुक्रम का अर्थ- वंशानुक्रम को अंग्रेजी में heredity कहते हैं अंग्रेजी का heredity शब्द लैटिन भाषा के शब्द hereditas से बना है। लैटिन भाषा में इस शब्द का अर्थ उसे पूंजी से होता है जो बालक को अपने माता-पिता से उत्तराधिकार के रूप में प्राप्त होती है शाब्दिक अर्थ के आधार पर वंशानुक्रम का तात्पर्य व्यक्तियों में एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को हस्तांतरित करने वाले बौद्धिक शारीरिक एवं अन्य व्यक्तित्व संबंधी गुना से है इस अर्थ के अनुसार बालकों के विभिन्न गन अपने अभिभावकों के समान होते हैं जैसे कल माता-पिता की संतान काली होती है ,अपराधी माता-पिता की संतान अपराधी होती है।
वंशानुक्रम की परिभाषाएं
1.बीएन झा के अनुसार- वंशानुक्रम व्यक्ति की जन्मजात विशेषताओं का संपूर्ण योग है।
2.डगलस के अनुसार – एक व्यक्ति के वंशानुक्रम में भी समस्त शारीरिक बनावटें शारीरिक विशेषताएं कार्य अथवा क्षमताएं समाविष्ट रहती हैं जिनको वह अपने माता-पिता व अन्य पूर्वजों एवं प्रजाति से प्राप्त करता है।
3.पीटरसन के अनुसार –एक व्यक्ति अपने माता-पिता द्वारा पूर्वजों के वंश से जो कुछ भी अर्जित करता है वंशानुक्रम के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।
4. रूथ के अनुसार – माता-पिता से संतान को हस्तांतरित होने वाले गुणों को वंशानुक्रम कहते हैं ।
5. वुडवर्थ के अनुसार- वंशानुक्रम के अंतर्गत भी समस्त बातें आ जाती हैं ,जो जीवन प्रारंभ करते समय जन्म के समय नहीं,बल्कि गर्भधारण के समय, जन्म से लगभग 9 महीने पहले व्यक्ति में उपस्थित थी।
जीवन कैसे प्रारंभ होता है- हमारे जीवन यात्रा माता के गर्भाधान के समय से ही प्रारंभ हो जाती है और इस समय वंशानुक्रम संबंधी विशेषताएं भी मां-बाप द्वारा संतानों को विरासत में प्राप्त हो जाती हैं इस प्रक्रिया को निम्न रूप में समझा जा सकता है। नर और मादा के संभोग के समय वीर्य का स्खलन होने पर नर के शुक्र कीट मादा के गर्भाशय द्वार पर जाकर टकराते हैं वीर्य के इन अनगिनत कीटों में से कोई एक की सहयोग वर्ष मद के गर्भाशय में स्थित अंडकोष के सहयोग से एक संयुक्त कोष का निर्माण होता है जिसे Zygote कहा जाता है इसके निर्माण के साथ-साथ ही अस्तित्व प्रकाश में आ जाता है और भ्रूण के रूप में उसका विकास होने लगता है संयुक्त कोर्स गाड़ी तरल पदार्थ साइटोप्लाज्म के अंदर एक नाभिक होता है जिसके भीतर गुणसूत्र होते हैं यह गुणसूत्र सदैव जोड़ों में पाए जाते हैं एक संयुक्त कोष में गुणसूत्र के 23 जोड़े होते हैं जिनमें से आधे 23 माता के और आधे 23 पिता द्वारा होते हैं प्रत्येक गुणसूत्र में छोटे-छोटे कीटाणु होते हैं जिनको पित्रयेक कहते हैं एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में इन्हीं पित्रयेको का हस्तांतरण होता रहता है यही पित्रयेक वंशानुक्रम संबंधी सभी विशेषताओं और गुणों के वास्तविक वाहक और निर्धारक हैं।
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