सावन सोमवार पर जबलपुर में निकली कावड़ यात्रा मयूर मेमोरियल ट्रस्ट जबलपुर ने उपलब्ध कराई कांवड़ियों को भोजन पानी व्यवस्था

दूसरे श्रावण सोमवार के अवसर पर संस्कारधानी जबलपुर में संस्कार कांवड़ यात्रा निकाली गई जिसमें शहर भर के अनेक कांवड़ियों ने पैदल यात्रा कर भाग लिया जिसमें अनेक संस्थाएं और जनप्रतिनिधियों ने भी भाग लिया वहीं कुछ समाज सेवी संस्थाएं कांवड़ियों के स्वागत सेवा कार्य के लिए अनेक स्थानीय संस्थाओं ने भाग लिया इसी क्रम में शहर की मानव सेवी संस्था मयूर मेमोरियल ट्रस्ट ने अपने सेवा शिवभक्तों के लिए राहत और सेवा का केन्द्र बनाकर सेवा कार्य किया। मयूर मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा श्रद्धालुओं की अद्वितीय सेवा कावंड यात्रा में पवित्र समर्पण का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया।

श्रावण मास की अलौकिक आस्था और शिवभक्ति से ओतप्रोत, जबलपुर गौरीघाट से कैलाश धाम मटामर तक निकली 35 किमी. लम्बी भव्य संस्कार कांवड़ यात्रा में एक लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने भोलेनाथ के जयकारों के साथ भाग लिया। यह यात्रा श्रध्दा एवं संस्कृति का अद्वितीय संगम थी। इस धार्मिक जनसैलाब के मयूर मेमोरियल ट्रस्ट ने अपने सेवा भाव से सभी का हृदय जीत लिया। पनेहरा पेट्रोल पम्प के समीप स्टॉल लगाया गया, जो शिवभक्तों के लिए राहत और सेवा का केन्द्र बना रहा यहाँ पर शीतल जल, सात्विक खिचड़ी और ताजे केले निःशुल्क वितरण किया गया।ट्रस्ट के संस्थापक गोविन्द बिसेन ने कहा “यह सिर्फ सेवा नहीं हमारी संस्कृति और परंपरा से जुड़ने की एक माध्यम है। हम चाहते हैं कि हर श्रद्धालु तक सुविधाएं और स्नेह पहुँचे ताकि उनकी यात्रा मंगलमय बने।

संस्कार कांवड़ यात्रा हमारे संस्कारधानी की एक पहचान है पैदल यात्रा के माध्यम से की कांवड़िया कैलाश धाम मटामर में पहुंचकर भोले बाबा को जल अर्पित करते हैं बिना रूके बिना थके कांवरिया बड़े बड़े कांवड़ कंधे में लेकर लगातार चलते जाते हैं कहते हैं जब सामूहिक रूप से किसी भी प्रकार की पूजा-अर्चना या धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं तब ईश्वर स्वयं इतना सामर्थ्यवान बना देते हैं कि श्रद्धालुओं में अपने आप में भक्ति के प्रति आस्था और अधिक जागृत होने लगती है जबलपुर शहर में पूरे वर्ष इस विशाल एवं भव्य कांवड़ यात्रा के लिए विचार विमर्श होता है। श्रद्धालुओं में इस कांवड़ यात्रा के लिए अपना एक अलग उत्साह रहता है गौरीघाट से मटामर तक कांवड़ियों के साथ साथ श्रद्धालुओं, अनेक प्रकार के बैंड, दुलदुल घोड़ी, धमाल, भोलेनाथ की वेषभूषा में शामिल होकर आकर्षण बनाने बनाने वाले ऐसे भक्त गण सभी इतनी लम्बी यात्रा कुछ घंटे में ही बहुत सरलता से पूरा कर लेते हैं।

सेवा कार्य में गोविन्द बिसेन – ट्रस्ट के संस्थापक गोविन्द बिसेन ने कहा “यह सिर्फ सेवा नहीं हमारी संस्कृति और परंपरा से जुड़ने की एक माध्यम है। हम चाहते हैं कि हर श्रद्धालु तक सुविधाएं और स्नेह पहुँचे ताकि उनकी यात्रा मंगलमय बने। ट्रस्ट की ज्योति गौंटिया ने कहा यह सेवा कार्य न केवल सामाजिक जिम्मेदारी का प्रतीक है, बल्कि यह बताता है कि जब समाज मिलकर चलता है, तब संस्कृति और मानवता दोनों सशक्त होती है। आशा जायसवाल, ज्योति गौंटिया, राजेन्द्र गुप्ता, शालिनी झारिया,प्रमोद गौंटिया,रीतू गौंटिया , सविता जायसवाल, आयेशी गौंटिया, सुरेन्द्र जायसवाल, आदित्य दुबे, दिव्यांश कुशवाहा, देवेश पटेल, अमन गुप्ता, शुभी जायसवाल, अभिषेक दुबे, अभिनव यादव, पीयूष वस्तवार, तुषार यादव, तरुण काछी, विक्रम मरावी, प्रथम यादव,आशीष शर्मा, समीर चक्रवती, देवराज विश्वकर्मा, आदर्श सेन, मोहित यादव, हर्ष वस्तवार,अजय वस्तवार, कृष्णा यादव, वरुण यादव, धनराज चौधरी. राजकुमार गौंटिया,, महेश कैथवास, अजम वस्तवार, बीपी आरिया, आलोक सेन ने विशिष्ट योगदान दिया।
नोट – क्या आपने भी धार्मिक आस्था से जुड़कर संस्कार कावड़ यात्रा में भाग लिया या सेवा कार्य किया है कमेंट करके जरूर बताएं धार्मिक समाज कार्य से जुड़ा यह लेख कैसा लगा कमेंट करके जरूर यदि आप समाज सेवा कार्य से जुड़ा समाचार सभी खबरों के लिए बने रहिए आपके अपने न्यूज पोर्टल प्रभात की कलम पर। यदि आप हमें किसी प्रकार का सुझाव देना चाहते हैं या फिर आप हमें समाज कार्य से जुड़ा समाचार भेजना चाहते हैं तो आप हमें ईमेल prabhatkikalam@gmail.com पर भेज सकते हैं।