बर्मन कौन सी जाति में आते हैं?

बर्मन कौन सी जाति में आते हैं?

 

Burman Kaun Si Jati Me Aate Hai
Burman Kaun Si Jati Me Aate Hai

 

हिन्दू धर्म के बर्मन जाति या समाज के लोगो को भगवान राम की नाव चलाने वाले केवट और भगवान निषाद के वंशज माने जाते हैं मध्यप्रदेश में बर्मन जाति के लोगों का मुख्य कार्य पानी भरना,नाव चलाना, मछली पालन और मछली बेचना है बर्मन समाज की उपजातियां मल्लाह, केवट,निषाद, कहार,कछार, मांझी , रैकवार, सौंधिया, कश्यप, मल्लाह, सिंगरहा, बाथम, आदि है

मध्यप्रदेश पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण विभाग मंत्रालय भोपाल 2014 के अनुसार -ढीमर, भोई , कहार , कहरा, चौवर/मल्लाह/नावड़ा/तुरहा – केवट (कश्यप, निषाद, रायकवार, बाथम) कीर, ब्रितिया वृत्तिया,सिंगरहा, जालारी, सोधिया आदि जिनका मुख्य कार्य मछली पकड़ना, पालकी ढोना, सिंघाड़ा च कमल गट्टा उगाना, पानी भरना, नाव चलाना है बाथम, कश्यप, रायकवार, भोई जाति, की उपजातियां इसी रूप में सम्मिलित की गई हैं।

Burman Kaun Si Jati Me Aate Hai
यह साल 2014 का अखबार मध्यप्रदेश में बर्मन निषाद मांझी समाज

 

कौन है भगवान गुहराज निषादराज
गंगा तट पर बसा श्रृंगवेरपुर के राजा निषाद वंश में महाराजा तीरथ निषाद एवं महारानी सुकेता निषाद के यहां चैत शुक्ल पंचमी को राजकुमार गुहराज निषाद का जन्म हुआ था एवं उनकी शादी शाहजी निषाद से हुई थी। वशिष्ठ जी के गुरूकुल में राम, लक्ष्मण, भरत एवं शत्रुघन आदि राजकुमारों के साथ निषादराज गुहराज भी पढ़ते थे, गुहराज ने राम से मित्रता आजीवन निभाई। जब रामजी को वनवास होता है वे अपने सखा के पास श्रृंगवेरपुर आते हैं उनका भव्य स्वागत होता है। श्री राम एक रात निषाद के यहां व्यतीत करते है फिर त्रिकूट के लिए विदा होते हैं। श्री राम लक्ष्मण एवं सीता के वन गमन के समय केवट की नाव उतराई अंगूठी न लेना अपने महाराज गुहराज निषाद के मित्र राम को आदर प्रदान करने वाला संतोष और उदारता का उदाहरण दिया था। श्री राम और सीता जी के मन में विशिष्ट स्थान बना लेने वाला केवट श्री निषाद राज की प्रजा के एक आदर्श उदाहरण हमारे समक्ष है। निषादराज जी ने राम के अहित की कल्पना से भरत के साथ लड़ाई की तैयारी भी कर ली थी। भरत को चित्रकूट ले जाकर श्रीराम से मिलाते हैं। 14 वर्ष का वनवास समाप्त होने पर श्रीराम गुहराज निषाद से मिलने श्रृंगवेरपुर आते हैं। श्रीराम अपने बाल सखा को वाहन में बैठाकर वापस अयोध्या आते हैं और विदाई के समय श्रीराम सिर्फ गुहराज निषाद को आते रहना कहते हैं जो स्वयं यह प्रमाणित करता है कि उनकी मित्रता कितनी प्रगाढ थी ।

 

बर्मन जाति या निषाद माॅझी समाज का मुख्य भोजन गेहूं दाल चावल तिली सरसों है प्रारंभ प्राचीन समय से ही ज्यादातर इस समुदाय के लोग मछली पालन और मछली का व्यापार करते हैं और जिनके पूर्वज गंगा तट पर उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद वनारस में रहते हैं आज के आधुनिक युग में माॅझी निषाद केवट वंश के लोग हर क्षेत्र मे अपना हुनर कौशल दिखा रहे हैं आज हर प्रकार के व्यापारी भी है शासकीय सेवक भी है हिंदी सिने जगत में भी है राजनीतिक जगत में भी समाज के लोग अपनी प्रतिभा के दम पर स्थापित है उन्नत दिशाओं में कदम भी बढ़ा रहे हैं। आज समाज के युवा वर्ग शिक्षित है और शिक्षा की क्षेत्र में उन्नति भी कर रहे हैं आज मॉझी समाज के अनेको संगठन है जो पूरे भारतवर्ष में है समाज के हित में लगातार कार्य कर रहे हैं निषाद पार्टी के नाम से उतर प्रदेश में एक राजनीतिक दल भी है मौजूदा उत्तर प्रदेश सरकार निषाद पार्टी के गठबंधन के साथ है।

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