किसी सर्वमान्य विकास परिभाषा को निर्धारित करना क्यों कठिन है?
विकास की अवधारणा-
बढ़ने की क्रिया या प्रक्रिया विकास है प्रगति करना या विकसित होने की क्रिया को विकास कहा जाता है विकास एक निरंतर चलने वाली सतत प्रक्रिया है व्यक्तिगत सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र सहित विभिन्न आयाम में उन्नति और सुधार की यात्रा है विकास के संबंध में जितने विद्यमान हैं उतनी ही परिभाषाएं दी गई हैं कोई भी परिभाषा दूसरी परिभाषा से मिलती-जुलती नहीं है विकास को सामान्यतः परिवर्तन का घोतक माना जाता है परंतु परिवर्तन सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रकार का होता है नकारात्मक परिवर्तन अवनति का सूचक है वही सकारात्मक परिवर्तन विकास के रूप में मान्य किया जाता है जो प्रगति और मानव दोनों को तरक्की की ओर ले जाता है विकास और वृद्धि में भी अंतर है यह समझी नहीं है वृद्धि का अर्थ है बढ़ाना हर प्रकार की वृद्धि विकास नहीं होती उदाहरण के लिए 5 वर्ष पूर्व यदि किसी गांव में शराबियों की संख्या 5 थी जो आज बढ़कर 50 हो गई यहां पर वृद्धि तो हो रही है लेकिन किसी भी गांव में शराबियों की संख्या बढ़ाना विकास नहीं माना जा सकता इससे स्पष्ट होता है कि विकास में केवल संख्यात्मक वृद्धि के बजाय गुणात्मक सकारात्मक परिवर्तन होना आवश्यक है।
विकास की परिभाषा
विकास शब्द का अर्थ है वृद्धि तथा क्रमिक प्रगति का होना
1.हाॅबहाउस के अनुसार– विकास किसी भी तरह की वृद्धि का नाम है जबकि प्रगति उन गुना की वृद्धि का नाम है जिनके साथ हम कुछ मूल्य जोड़ देते हैं।
2.रोस्टोब के अनुसार– विकास एक रेखीय मार्ग है जिस पर सभी देश बढ़ाने का प्रयत्न करते हैं प्राथमिक रूप से विकास एक आर्थिक समृद्धि का विषय है सामाजिक परिवर्तन के लिए इसका संबंध अनिवार्य रूप से वृद्धि से जुड़ जाता है।
3.पेज के अनुसार -विकास का तात्पर्य सिर्फ बढ़ाना नहीं है इस तात्पर्य उन व्यवस्थित एवं समुन्नत परिवर्तन से है जो कि समाज को संगठित रूप प्रदान करते हैं।
4.हर्बर्ट स्पेंसर के अनुसार– विकास तत्व का एकीकरण और उससे संबंधित गति है जिसके दौरान तत्व अनिश्चित ऐसा संबंध समानता से निश्चित संबंद्ध भिन्नता की ओर बदलता है।
5.मैंकाइवर के अनुसार- विकास परिवर्तन की एक दिशा है जिसमें बदलने वाले पदार्थ की विभिन्न दशाएं प्रकट होती है तथा जिसे पदार्थ की यथार्ता का ज्ञान होता है।
6.ब्रटलैंड आयोग के अनुसार – भावी पीढ़ी की अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने की क्षमता में हृॉस किए बिना वर्तमान पीढ़ी की आवश्यकताओं को पूरा करना ही विकास है।
सभी लोग शासक प्रशासक स्थानीय जनप्रतिनिधि से लेकर आम जनता तक विकास की बात कर रहे हैं मानव अपने जीवन के प्रतीक क्षेत्र में उसे प्राप्त करने की महत्वाकांक्षा रखता है वर्तमान समय में विकास शब्द का प्रयोग पूरे विश्व में सर्वाधिक वांछित आवश्यकता के रूप में किया जा रहा है।
7.भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अनुसार -सबका साथ, सबका विकास ,सबका विश्वास, सब का प्रयास, के रूप में विकास को सरल शब्दों में परिभाषित किया है जिसका अर्थ है विकास वह प्रक्रिया है जिसकी प्रगति के लिए सबकी सहभागिता के साथ सबका विश्वास भी आवश्यक है।
8.हैरिस के अनुसार- विकास से तात्पर्य प्राणी को समय के साथ संरचनाओं में जटिल परिवर्तन समग्र को सम्मिलित करते हुए स्वर्ण निमंत्रण एवं स्वस्थापित्य के साथ वयस्क की स्थिति को प्राप्त करना है।
9.बोरिंग के अनुसार –विकास से हमारा तात्पर्य आवृत्ति या रूप में परिवर्तन से होता है शारीरिक संरचना या ढांचे में परिवर्तन का कारण वृद्धि है।
10.जरशील्ड के अनुसार -विकास शब्द का अर्थ जटिल प्रक्रियाओं का समूह है जिन से निश्चित एंड से एक परिपक्व व्यक्ति का उदय होता है।
11.गोर्डन के अनुसार- विकास एक ऐसी प्रक्रिया है जो जन्म से लेकर उसे समय तक चलती रहती है जब तक कि वह पूर्ण विकास को प्राप्त नहीं कर लेती।
12.गैसेल के अनुसार-विकास सामान्य प्रश्न से अधिक महत्व की चीज है विकास का अवलोकन किया जा सकता है एवं किसी सीमा तक इसका मूल्यांकन एवं मापन भी किया जा सकता है।
विकास की विशेषता –विकास सामाजिक परिवर्तन की वह प्रक्रिया है जो किसी एक क्षेत्र तथा निश्चित दिशा की तरफ चलने को प्रेरित करती है विकास के लक्षण प्राय वर्तमान में मौजूद नहीं रहती जिन नैतिक मान्यताओं को लक्ष्य बनाकर विकास किया जाता है तब उसे विकास में उनकी झलक भी नहीं देखी जा सकती विकास में परिवर्तन की प्रक्रिया नियंत्रित होती है विकास में नैतिक मान्यताएं सदैव निहित रहती हैं इसमें निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में परिवर्तन किया जाता है।
विकास के पक्ष में विकसित तथा विकासशील राष्ट्रों में पृथक पृथक होते हैं विकसित पश्चिमी देशों में इसे एक आर्थिक भीम माना जाता है इसका उद्देश्य जनसंख्या के सभी स्तरों में सुधार करना होता है इसके विपरीत विकासशील देशों हेतु बहुआयामी अवधारणा है इसके विभिन्न पक्षों का उल्लेख निम्न तरह किया जा सकता है।
1.राजनीतिक विकासशील – देश राष्ट्रवादी विचारों के समर्थक होने से राजनीतिक विकास को विशेष महत्व देते हैं वे अपने राजनीतिक विकास में निम्न बातों को महत्व देते हैं
राष्ट्र निर्माण -विकासशील देशों के इस तथ्य के संबंध में विद्वानों का विचार है की महान विकासशील देश राष्ट्रीय प्रतीकों के निर्माण में पूंजी निवेश इस तरह से करते हैं जो आर्थिक रूप से विवेक हैं लगते हैं पर वे राष्ट्रीय अभियान की वृद्धि के हर स्थान में राष्ट्र को एक साथ बांधते हैं।
राज्य का स्वरूप कल्याणकारी -विकासशील देश अपने राज्य का विकास कल्याणकारी राज्य के रूप में करना चाहते हैं यह मिश्रित अर्थव्यवस्था द्वारा होता है जो राज्य द्वारा निर्देशित होती है जो उद्यमों पर सीधा नियंत्रण रखती है एवं लघु उद्योग तथा मध्यम उद्योगों में व्यक्तिगत क्षेत्र को प्रोत्साहित करती है इसकी अन्य मुख्य विशेषता केंद्रीय तथा निर्देशित नियोजन एवं मूलभूत उद्योगों का सार्वजनिक क्षेत्र में विकास करना आदि है।
2.आर्थिक विकास -विकास को पश्चिमी विकसित देशों में एक आर्थिक प्रक्रिया माना जाता है जबकि विकासशील देशों के विकास सर्वाधिक विशिष्ट कार्यरत परिवर्तन तथा प्रक्रियाओं का योग है वास्तव में आर्थिक विकास की अवधारणा ना तो पूर्णत भौतिकवादी तथा ना तो पूर्णतया नैतिक सामाजिक तथा संस्कृत वर्ण सभी विचारों का समन्वित रूप है।
3.सामाजिक विकास -सामाजिक विकास के संबंध में ल के ने लिखा है कि विकास सामाजिक एवं आर्थिक वास्तविकता में गुणात्मक परिवर्तन तथा परिणाम आत्मक वृद्धि की प्रक्रिया है आर्थिक तथा सामाजिक तत्वों के घनिष्ठ सत्ता संबंधों के कारण कोई भी विशुद्ध सामाजिक एवं विशुद्ध आर्थिक विकास संभव नहीं है अतः विकास के संबंध में सामाजिक एवं आर्थिक दोनों ही तरह के आकार की दृष्टि से सोचना उचित होगा।