रायबहादुर डॉ. हीरालाल राय की 158 जयंती पर सात्विक सेवा संस्था जबलपुर ने डाक टिकट प्रदर्शनी का आयोजन किया

विश्विख्यात इतिहासज्ञ, पुरातत्वविद्, ब्रिटिशकालीन डिप्टी कमिश्नर रायबहादुर डॉ हीरालाल राय की 158 जयंती के उपलक्ष्य में दिनांक 1 अक्टूबर 2025 को सात्विक सेवा संस्था जबलपुर द्वारा डॉ. हीरालाल राय कला वीथिका, रानी दुर्गावती संग्रहालय में संपन्न हुई, जिसमें संग्रहकर्ता अरविंद मलिक द्वारा रामायण पर तथा गिरीश चंद्र गुप्ता द्वारा धरोहर से संबंधित डाक टिकटों की प्रदर्शनी व हीरालाल जी पर केंद्रित छायाचित्र प्रदर्शनी लगाई गई, जिसमें गणमान्य नागरिकों व विद्यार्थियों द्वारा प्रदर्शनी का अवलोकन कर भारतीय संस्कृति की नवीन जानकारियां प्राप्त की गई।
सात्विक सेवा संस्था जबलपुर द्वारा आयोजित प्रदर्शनी कार्यक्रम में संस्था की अध्यक्ष अंशु राय ने बताया कि कटनी के मुड़वारा में जन्मे रायबहादुर डॉ. हीरालाल राय एक लब्धप्रतिष्ठित पुराविद और विद्वान थे। जबलपुर डॉक्टर हीरालाल राय की कर्मभूमि रही है उन्होंने लगभग 10 हजार लुप्त संस्कृत और प्राकृत पांडुलिपियों की खोज की। वह भाषा विज्ञानी थे और गौंड़ी, कोरकू, गदबी जैसी कई भाषाओं के जानकार थे। उन्होंने तत्कालीन मध्यप्रांत और बरार के प्राचीन अभिलेखों का संकलन, संपादन और पाठ सारांश प्रस्तुत करने का महत्वपूर्ण कार्य किया। उनके नाम पर “हीरापुर बंधा” का नामकरण हुआ भारत सरकार ने उनके सम्मान में डाक टिकट भी जारी किया था।

कलचुरी वंश मध्य भारत का गौरव रहा है डॉ. हीरालाल ने अपने शोध और पुरातात्त्विक कार्यों से कलचुरी वंश की ऐतिहासिक परंपरा को पुनर्जीवित किया और उसके गौरव को राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित किया। कल्चुरी वंश के राजाओं ने छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश और महाराष्ट्र तक अपने शासन और संस्कृति का विस्तार किया। कलचुरी वंश की प्रमुख राजधानियां त्रिपुरी (जबलपुर) और रतनपुर (छत्तीसगढ़) थी कला, स्थापत्य, जलसिंचन, मंदिर-निर्माण और साहित्य के संरक्षण में कलचुरी शासकों का योगदान अद्वितीय रहा। खजुराहो और रतनपुर के आसपास के मंदिरों तथा अभिलेखों में कलचुरी शासन की गाथाएँ आज भी अंकित हैं।

रानी दुर्गावती कलावती का जबलपुर में आयोजित प्रदर्शनी में संस्था की अध्यक्ष श्रीमती अंशु राय एवं अन्य श्रीमती प्रमिला राय, सुश्री छाया राय, अविनाश कुमार राय, निशांत राय, डॉ. निमिष राय, सात्विक राय, सतीश श्रीवास्तव, शीला जायसवाल, रितु श्रीवास्तव विनीत श्रीवास्तव, डी.सी. विनोदिया, अंकित नेमा, हरिशंकर शुक्ला, चंदन पटेल, आवेश सिंह, अविनाश दुबे, जितेंद्र पटेल, प्रियांशु गोहलानी, कपिल गायकवाड, अनुराग उपाध्याय, अनुपम उपाध्याय, आशीष दुबे, इत्यादि उपस्थित रहें।
FAQ.
1.मध्य प्रदेश में कुल कितने पर्यटन स्थल हैं?
मध्य प्रदेश में बहुत से पर्यटन स्थल है जिनमें पर्यटन स्थलों की राष्ट्रीय उद्यान, ऐतिहासिक किले, महल और विश्व धरोहर स्थल जैसी कई श्रेणियाँ शामिल हैं। खजुराहो, साँची, मांडू, कान्हा, पचमढ़ी, ग्वालियर और उज्जैन जैसे कई प्रमुख और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध स्थल हैं, जिन्हें प्रदेश के पर्यटन में महत्वपूर्ण माना जाता है।
2.मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा तीर्थ स्थल कौन सा है?
मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा तीर्थ स्थल उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर है जिसमें भगवान शिव विराजमान है यह 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक ज्योतिर्लिंग है अपनी अनूठी और पवित्र भस्म आरती के लिए प्रसिद्ध है। मध्य प्रदेश उज्जैन के इस शिव मंदिर में दुनिया भर से अनगिनत भक्तों को आकर्षित करता है।
3.मध्य प्रदेश का पहला पर्यटन शहर कौन सा है?
मध्य प्रदेश का पहला पर्यटन शहर खजुराहो नगर है खजुराहो नगर एक विश्व धरोहर स्थल है यह शहर प्राचीन मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है खजुराहो शहर को मध्य प्रदेश का पहला पर्यटक शहर माना जाता है।
4.भेड़ाघाट जबलपुर से कितनी दूर है?
भेड़ाघाट पर्यटन स्थल जबलपुर शहर से 30 किलोमीटर दूर है जहां पर दुग्ध धारा जलप्रपात है इस जलप्रपात में घूमने के लिए दुनिया भर से लोग आते हैं यह एक विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है।
5.भेड़ाघाट में कौन-कौन से पर्यटन स्थल हैं?
भेड़ाघाट में धुआँधार जलप्रपात, नर्मदा नदी के किनारे स्थित संगमरमर की चट्टानें, और प्राचीन 64 योगिनी मंदिर शामिल है भेड़ाघाट जबलपुर महानगर से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है जबलपुर शहर मध्य प्रदेश के चार महानगरों में से एक महानगर है।
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